कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के पुराने मांग की तरफ लौटे नीतीश कुमार. नीतीश कुमार ने फिर एक बार केंद्र सरकार से जाति जनगणना कराने की मांग की.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि देश में एक बार जातिगत जनगणना सभी तबकों के विकास के लिए आवश्यक है। किस इलाके में किस जाति की कितनी संख्या है, इससे पता चलेगा। एससी-एसटी के अलावा अन्य गरीब-गुरबा तबका को भी इससे लाभ मिल सके और पता चल सके कि उनकी सही मायने में संख्या कितनी है। संख्या का पता चलेगा तो उनके कल्याण के लिए ठीक ढंग से काम हो सकेगा।नित्यानंद राय ने कहा था कि संविधान के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय विवरण एकत्रित करने का अनुरोध किया है। भारत सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में फैसला किया है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं होगी।केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना नहीं कराये जाने को लेकर पूछ गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फरवरी 2019 और 2020 में विधानसभा से सर्वसम्मति से इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था। वर्ष 1990 से ही हमलोगों के दिमाग में ये बातें हैं। संसद में बताया गया है कि अब जाति आधारित जनगणना नहीं होगी। हम आग्रह करेंगे कि इस पर गौर करें। पहले भी हमने इस पर न सिर्फ बात की है, बल्कि प्रस्ताव भी भेजा है। हमलोगों की इच्छा है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए, यह सबके हित में है। जाति जनगणना 2010 के बाद कराई गयी थी।