धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों को बाद में भी कई बीमारियों से दो चार होना पड़ रहा है. ऐसे में इन मरीजों की परेशानी पहले से कहीं अधिक बढ़ जाती है. इस बीच दिल्ली के एक अस्पताल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में न्यूरोलॉजिकल या तंत्रिका संबंधी परेशानियां अधिक खतरनाक रूप से बढ़ती दिखने की बात कही है.दिल्ली के मूलचंद अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं,उनमें ब्रेन हैमरेज और 50 फीसदी अन्य तंत्रिका संबंधी दिक्कतें खतरनाक रूप से बढ़ रही हैं. अस्पताल की सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. आशा बक्शी ने कहा है कि इस तरह के मामलों की अधिकता उन लोगों में अधिक है जिन्हें पहले दो-तीन महीने के अंतराल में कोरोना संक्रमण हो चुका है. उनके अनुसार 37 फीसदी मरीजों में सिरदर्द जैसे लक्षण मिले हैं. वहीं 26 फीसदी मरीजों में गंध और स्वाद की कमी जैसे लक्षण दिख रहे हैं.डॉ. बक्शी के अनुसार इन मरीजों में सामान्य तौर पर 49 फीसदी एक्यूट एनसैफैलोपैथी, 17 फीसदी कोमा और 6 फीसदी स्ट्रोक जैसे लक्षण मिल रहे हैं. इस तरह की बीमारियों के कारण अस्पतालों में मौत का खतरा बढ़ा है. उनका कहना है कि कोविड 19 महामारी से सिर्फ फेफड़ों की बीमारी ही नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो रही हैं.मूलचंद अस्पताल का यह भी कहना है कि उसके ओपीडी विभाग में आने वाले करीब 60 फीसदी मरीज तनाव, अकेलेपन और सुसाइड करने जैसे खयाल आने की समस्या से ग्रसित होते हैं. इनमें से अधिकांश को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका होता है.