प्रिया सिन्हा दिल्ली से . कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाले नुकसान को लेकर दुनिया भर में इन दिनों अलग-अलग रिसर्च और स्टडी की जा रही है. इसी कड़ी में भारत में की गई एक स्टडी से पता चला है कि प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण पर भी कोरोना का खतरा बना रहता है. चिंता की बात ये है कि वायरस 5 दिन के भ्रूण के अंदर भी पहुंच जाता है. लिहाज़ा इससे गर्भपात होनी की संभावना बढ़ जाती है. ये स्टडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ ने किया है. बता दें कि ये स्टडी IVF से विकसित 45 भ्रूण पर किए गए.शोधकर्ताओं के मुताबिक, संक्रमित माताओं से कोरोना वायरस गर्भ में मौजूद भ्रूण को संक्रमित कर सकता है. साथ ही प्रयोगशालाओं में आईवीएफ प्रक्रियाओं के दौरान भी संक्रमण का खतरा बना रहता है. ऐसे में गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है. इतना ही नहीं कोरोना के संक्रण से महिलाएं प्राकृतिक और IVF दोनों के जरिए गर्भ धारण करने में विफल रहती हैं. हालांकि इसको लेकर कोई ठोस डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राइवेट और सरकारी अस्पताल दोनों जगहों से कई मामले सामने आए हैं.डॉक्टर दीपक मोदी ने कहा, ‘हमने पाया है कि समान कोशिकाओं में भ्रूण कोशिकाओं के अंदर वायरस पहुंचने के लिए सभी मशीनरी मौजूद होती है. ये भ्रूणों को नुकसान पहुंचाता है. हमारी टीम ने ये भी पाया कि ACE2 के साथ, प्रारंभिक भ्रूण की कोशिकाओं में कोरोना वायर के रिसेप्टर्स होते हैं, जिससे उनके संक्रमित होने की काफी संभावना होती है.मुंबई में वाशी के फोर्टिस हीरानंदानी अस्पताल में सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मंजिरी मेहता ने कहा कि उन्होंने कोरोना संक्रमित माताओं में पहली और साथ ही दूसरी तिमाही में गर्भपात की संख्या में इज़ाफा देखा है. बीवाईएल नायर अस्पताल, जहां पिछले साल महामारी फैलने के बाद से 1,000 से अधिक कोविड-संक्रमित गर्भवती महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है, वहां भी गर्भपात कई केस सामने आए हैं.