सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::दूषित पानी में पली मछली खाने से कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। उक्त जानकारी धर्मशिला अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ अंशुमान कुमार कैंसर विशेषज्ञ डॉ अंशुमान कुमार ने दी।उन्होंने बताया कि आर्सेनिक, केडमियम, पारा, सीसा जैसे हानिकारक धातुएं जिस पानी में घुली रहती हैं, वह पानी कैंसर कारक होता है और जब ऐसे पानी में मछली पलती है तो मछली के अंदर भी पानी के वजह से कैंसर कारक तत्व का असर हो जाता है। ऐसे मछली को लगातार खाने से खून और पेशाब की थैली अस्थि मज्जा स्कीम फेफड़े का कैंसर हो सकता है। इस तरह का कैंसर का बहुत जल्द या शुरुआती दौर में पता नहीं चलता है।उन्होंने बताया कि यमुना नदी का पानी दूषित पानी है और इसमें पलने वाली मछली खाने से त्वरित रूप से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। यमुना नदी की मछली गर्भवती महिलाओं को बिल्कुल नहीं खानी चाहिए, क्योंकि ऐसी मछली खाने से बच्चे को नुकसान हो सकता है, बच्चे के होंठ और तालू जन्म से कटे हो सकते हैं, रीड की हड्डी पर पानी की थैली बन सकती है।दिल्ली में यमुना के पानी में आर्सेनिक, कैडमियम, पारा, सीसा जैसे जैसी हानिकारक धातुएं घुली हैं, जो कैंसर कारक है। यमुना नदी में तमाम नालों के दूषित पानी नदी को इतना जहरीला बना दिया है कि अब इसमें मछलियां पनप ही नहीं रही है। जबकि एक समय ऐसा भी था कि यमुना नदी में रोहू ,कतला, शीतल ,सिंघाड़ा मल्ली समेत 50 से अधिक प्रजाति की मछलियाँ रहती थी। लेकिन नदी के प्रदूषित होने के कारण अब महज कमनकार प्रजाति की मछली ही इसमें रह गई है। अब तो यमुना में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि जो मछलियां यमुना में मौजूद है वह भी अब खाने लायक नहीं रह गई है।यमुना नदी की सफाई में प्रत्येक वर्ष बड़ी धनराशि खर्च होती है । सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2018 से 2021 के बीच करीबन 200 करोड रुपए आवंटित किए गए लेकिन हालात नही सुधरे।