कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /जदयू मेरे लिए पार्टी मात्र नहीं बल्कि यह मेरे लिए जीवन का पर्याय बन चुकी है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक मेरी हर सांस पार्टी और पार्टी के साथियों से जुड़ी होती है। लेकिन दल हो या जीवन – हमारी और आपकी भूमिका समय-समय पर बदलती रहती है। बदलाव जीवन और प्रकृति का नियम है, जिसे हम बदल नहीं सकते। लेकिन जो हमारे हाथ में है और जिसकी बाद में चर्चा होती है, वो यह कि हमने अपनी जिम्मेदारी कितनी खूबसूरती और शिद्दत से निभाई। पार्टी ने मुझे जब जो जिम्मेदारी दी, उसे मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और चेतना दल को आगे बढ़ाने में लगाई। हमारे नेता का सिर हमेशा ऊँचा रहे और उनका काम सरजमीन तक पहुंचे, हमेशा पूरी तत्परता से इस कोशिश में लगा रहा। और मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि मेरे हर काम की सफलता के मूल में आप सभी का विश्वास और साथ रहा है। मेरी हर उपलब्धि में आप सभी बराबर के साझेदार हैं और हमेशा रहेंगे।राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल में और वो भी कोरोना के साये में रहते हुए मैंने दल को नई मजबूती और मुकाम देने की हरसंभव कोशिश की। अब इस दायित्व को आदरणीय ललन बाबू आगे बढ़ाएंगे, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं। अपने दल के लिए और आप सबके लिए मैं जैसे उपलब्ध था, वैसे ही रहूंगा – आजीवन, अविराम। अपने साथ, सहयोग और स्नेह के लिए मेरा आभार और प्रणाम स्वीकार करें।