उमर फारुख की रिपोर्ट अन्य समाचार पत्रों से / मसूद अजहर के करीबी कहे जा रहे ‘लंबू’ को ढेर कर दिया है. हंगलमार्ग के त्राल में इस मुठभेड़ में एक और आतंकी भी मारा गया है. पाकिस्तान के टॉप मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों में शामिल लंबू को इस्माइल, अदनान और सैफुल्ला जैसे कई नामों से जाना जाता था. अजहर के इस करीबी को ही 2019 में हुए पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है. उस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर शनिवार सुबह नामिबियान तथा मारसार वनक्षेत्र और दाचीगाम के इलाके में घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू किया. उन्होंने बताया कि तलाश कर रहे दल पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाई जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई. सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसमें दो आतंकवादी मारे गए.कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने बताया, ‘प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद से संबद्ध शीर्ष पाकिस्तानी आतंकवादी लंबू को आज मुठभेड़ में मार गिराया गया.’ उन्होंने बताया, ‘दूसरे आतंकवादी की पहचान की जा रही है.’ आईजीपी ने सेना और पुलिस को इस सफलता के लिए बधाई भी दी.एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि लंबू 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले समेत कई आतंकवादी घटनाओं में शामिल था. कहा जाता है कि पुलवामा ब्लास्ट में इस्तेमाल हुए IED को लंबू ने ही तैयार किया था.सैफुल्ला ने तालिबान से आतंक की ट्रैनिंग ली. वह IED तैयार करने में माहिर था. उसने भारत में 2017 में घुसपैठ की थी. इसके बाद से ही वह घाटी में लगातार सक्रिय था. अदनान को पाकिस्तान के आतंकी संगठन JeM के शीर्ष रउफ अजहर, मौलाना मसूद अजहर और अमार के बड़े सहयोगियों में गिना जाता था. इस काम में वह अवंतीपोरा और खासतौर से काकापोरा और पांपोर इलाकों का इस्तमाल करने के प्रयास में था. मार्च 2020 में चढूरा बडगाम के जिनपोरा में मुठभेड़ के दौरान वह भाग गया था. इस मुठभेड़ में एक जवान घायल हुआ था. IED बनाने के अलावा सैफुल्लाह एनक्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन का एक्सपर्ट था. वह दक्षिण कश्मीर में जैश का कमांडर था और ज्यादातर अवंतीपोरा से काम करता था. खबर है कि साढ़े 6 फीट का लंबू घाटी में रहकर आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए काम कर रहा था. इसमें ब्रेन वॉश कर नए लड़कों को भर्ती करना और फिदायीन हमलावर तैयार करना शामिल था.कश्मीर में जैश की कमान आतंकवादी कारी मुफ्ती यासिर के हाथ में थी. लेकिन उसके मारे जाने के बाद यह जिम्मेदारी लंबू को मिल गई थी. सुरक्षाबल बीते चार सालों से उसकी तलाश कर रहे थे. सैफुल्लाह के खिलाफ 2018 से 2020 के बीच क्षेत्र के कई पुलिस स्टेशन में UAPA और भारतीय दंड संहिता की के तहत कई मामले दर्ज थे.