डॉ. संजीव कुमार सिंह /बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान के तहत मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें अगस्त क्रांति दिवस के दिन 7,8,9 अगस्त को छतरपुर (बक्सवाहा) जाने और अभियान को गति प्रदान करने तथा सफलता हेतु विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और वहां 3 दिन का जो प्रोग्राम है उसकी रणनीति तैयार करने के लिए अलग-अलग प्रदेशों से अलग-अलग संगठनों के कार्यकर्ता ने अपने विचार दिए और इस मीटिंग में एक सबसे अच्छी बात यह रही कि हमारी मीटिंग की संख्या लगभग 30 पर्यावरण प्रेमियों की थी जिस में मातृशक्ति का योगदान बहुत अच्छा रहा इस जंगल बचाओ अभियान मीटिंग में सम्मिलित हुए मीटिंग में चर्चा के समय उपस्थित मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे माननीय डॉक्टर धर्मेंद्र जी,आनंद जी, ओम प्रकाश चौधरी जी,सीमा चौहान जी,ज्योति सनोदिया जी,उषा मिश्रा जी,पूनम जी जी,काजल इंदौरी जी,शीतल पाटील जी,विश्वमित्रा मानव जी,इंदु जी,गणेश जी,कमल यादव जी,अभिषेक खरे जी, महेश सिंह जी,मिथिलेश शर्मा जी,ओम प्रकाश महतो जी, पीयूष विश्नोई जी,राजेश जी, अर्जुन काले जी,शुभम पाठक जी,संतोष मेहता जी,ओम प्रकाश पंचाल जी,अभिषेक कुशवाहा जी,श्याम दुबे जी, पवन राजपूत जी,विकास जैन जी,अनुराग बिश्नोई जी,आदि के साथ लगभग 30 सदस्यों ने इस विषय पर अपने सुझाव प्रस्तुत किए अगर किसी का नाम रह गया हो तो उसके लिए क्षमा माफी और सभी के सुझाव के बाद यह तय हुआ की 7,8,9 अगस्त तारीख जो छतरपुर (बक्सवाहा) जाने के लिए तय हुई है उसमें सभी के विचारों को देखते हुए उसकी एक रूपरेखा बनाई गई जिसमें यह तय हुआ कि जो लोग बक्सवाहा जाएंगे वह वहां 3 दिन की जो कार्यक्रम रखा है उसके अनुसार कार्यक्रम करेंगे जिसमें अपने खून से महामहिम राष्ट्रपति जी,प्रधानमंत्री जी,मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश जी के नाम पत्र लिखा जाएगा और यह भी तय हुआ जो लोग वहां जाने में असमर्थ हैं वह अपने निवास स्थान पर ही कार्यक्रम करेंगे जिसमें बच्चों को साथ लेकर बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान के तहत वीडियो बनाना, बच्चों को एकत्र करके उनके साथ वार्तालाप करनी,और बच्चों द्वारा वृक्षारोपण करना और इसके अलावा आपको जो भी सही लगे वह कार्यक्रम अपने निवास स्थान पर करवाएं और जो भी कार्यक्रम आप अपने निवास स्थान पर करें उसका फोटो और उसका विवरण सोशल मीडिया पर, समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित कराएंऔर मेरा सभी पर्यावरण प्रेमियों से निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को इस जंगल बचाओ अभियान में जुड़ने के लिए कहें जिससे अलग-अलग विचार मिले और फिर उन विचारों ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति तैयार हो।