सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट वाराणसी से /यात्रियों से सुखद और सहज सफर का दावा करने वाले रोडवेज विभाग के कल पुर्जे ढीले हो चुके है। मरम्मत के अभाव में वाराणसी परिक्षेत्र की 62 से ज्यादा गाडियां बेपटरी हो गई है। वही, सरेंडर चल रही 93 बसों का पहिए अभी तक सड़को पर नही उतर सके हैं। ऐसी स्थिति में रोडवेज की आमदनी का ताना- बाना ही बिगड़ गया। पार्ट के अभाव में कई-कई माह से बसे ऑफरोड खड़ी हैं। बीते कई माह से वाराणसी परिक्षेत्र में बसों के टायर समेत महत्वपूर्ण पार्ट्स की सप्लाई नहीं हुई है। साथ ही जरूरी पार्ट भी उपलब्ध नहीं होने की वजह से बसों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। मजबूरन बीते कई माह से बसें ऑफरोड खड़ी हैं। वहीं इस संबंध में कार्यशाला के अधिकारियों द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है बावजूद इसके टायर व पार्ट सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। वहीं कई बसें पुराने टायर व अन्य खराबी की वजह से बीच रास्ते ही हांफ जाती हैं। काशी डिपो में सर्वाधिक गाडियां ऑफरोड चल रही है। यहां खराब पड़े 29 बसों में ज्यादातर इंजन से जुड़े काम बाकी है। इसके अलावा कैंट डिपो में 16 गाडियां जरुरी पार्ट्स के इंतजार में लंबे समय से खड़ी है। जौनपुर, सोनभद्र, विंध्य नगर और चंदौली डिपो में ऑफरोड खड़ी गाड़ियों का यही हाल है। उच्चाधिकारियों द्वारा बसों की मरम्मत आदि के लिए पार्ट आदि की सप्लाई को लेकर गम्भीरता नहीं बरती जा रही। जिससे धीरे-धीरे बसें ऑफरोड व कंडम होती जा रही हैं।पार्ट्स की आपूर्ति के लिए लखनऊ मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है। स्थानीय स्तर पर गाडियों के मरम्मत कार्य और कुछ आवश्यक पार्ट्स खरीदने की अनुमति मांगी गई है।