सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट / सामनेघाट स्थित ज्ञानप्रवाह नाले से बाढ़ का पानी घुसने के कारण शनिवार को मारुति नगर, गायत्री नगर कालोनी के आंशिक हिस्से में रहने वाले 100 घरों से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ गए। घरों में पानी घुसने के कारण ज्यादातर लोग अपना सामान गांव या रिश्तेदार, परिचितों के घर रखने लगे। ज्यादातर लोग अभी घर में ही रहकर दूसरे तल पर जरूरत की चीजों को खरीद कर खाने की व्यवस्था में जुटे हैं। मारुति नगर के पिछले हिस्से की सड़कें डूब गई हैं। कालोनी के रहनेवाले लोगों ने बताया कि अभीतक बिजली की सप्लाई चालू है लेकिन बंद होने के बाद समस्या बढ़ जाएगी और पानी की समस्या होगी।बाढ़ की चिंता के साथ ही घरों की सुरक्षा और चोरी होने का डर लोगों को सता रहा है। मारुति नगर में रहने वाले नंदलाल तिवारी, विजय सिंह, पारसनाथ सिंह, संजय कांत पांडेय सहित काफी लोगों के घरों में पानी प्रवेश करने के कारण परिवार को अपने गांव भेज दिया। पीड़ितों ने बताया कि जिस रफ्तार से पानी बढ़ रहा है क्षेत्र के हजारों लोग घरों को छोड़कर पलायन करने को मजबूर होंगे। वर्ष 2013 और 2016 में भीषण बाढ़ के कारण क्षेत्र की दर्जनों कालोनियों के लोगों के लिए मुसीबत बनी थी।बाढ़ की सूचना पर शनिवार की दोपहर में विधायक रोहनिया सुरेन्द्र नारायण सिंह ने बाढ़ग्रस्त कालोनी का निरीक्षण कर लोगों से मुलाकात के बाद वहीं कालोनी में अशोक पांडेय के यहां सहायता केंद्र खोलने के साथ ही राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कहा। सुरेन्द नारायण सिंह के साथ पूर्व प्रधान संघ अध्यक्ष कमलेश पाल और प्रधान महेश प्रजापति भी रहे।एनडीआरएफ की टीम ने स्वराज कमल असिस्टेंट कमांडेंट के नेतृत्व में मारुति नगर कालोनी की सड़क और गली का निरीक्षक किया। स्वराज कमल ने बताया कि समस्या बढ़ने के पहले ही तैयारी की जा रही है जिससे लोगों की मदद की जा सके।रमना , तारापुर , टिकरी के तराई इलाके में गंगा का पानी बढ़ने से सब्जियों की सैकड़ों एकड़ फसल डूब गई।आसपास के किसानों द्वारा सब्जियों को उसपर चढ़ाने के लिए बांस की लगाई गई करोड़ों की टाटी बाढ़ की भेंट चढ़ जाएगी।रमना के अमित पटेल ने बताया कि 100 एकड़ से ज्यादा सब्जी जिसमें नेनुआ, सेम, लौकी, बोड़ा, करेला, भिंडी डूब गई। रमना गांव के पूर्वी हिस्से पर गंगा किनारे बना शवदाह गृह दूसरी बार बाढ़ की भेंट चढ़ गया।इसके पहले भी रमना में शवदाह गृह बाढ़ की भेंट चढ़ गया लेकिन जिम्मेदार उसके बाद भी नही जागे और फिर उसी जगह शवदाह गृह का निर्माण कराया गया।