प्रियंका भारद्वाज पटना से , १५ अगस्त। विश्व में, राष्ट्रों की स्वतंत्रता के लिए हुए आंदोलनों में, महानतम आंदोलन के रूप में परिगणित होने वाले भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में, देश के लाखों बलिदानियों में देश के साहित्याकारों के नाम श्रद्धा से उद्धृत की जाते हैं। विश्व इतिहास के उस महानतम संग्राम में भारत के साहित्यकारों का अवदान अतुल्य है। इन अमर साहित्याकारों ने संपूर्ण समाज को झकझोरने और आंदोलन उत्पन्न कारने वाली रचानाएँ ही नहीं की, अपितु आंदोलन में सक्रिए रूप से भाग भी लिया। जेल की यातनाएँ सही और संत्रास के जीवन भी बिताएँ। किंतु उनकी लेखनी से न केवल क्रांति उत्पन्न हुई और संपूर्ण हुई, अपितु जुल्म की बड़ी-बड़ी चट्टानें भी चूर्ण हुई। कवियों ने जग का संत्रास दूर किया, इतिहास बदल दिया। यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में, राष्ट्रीय ध्वज के आरोहण के पश्चात अपने संबोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत-महोत्सव-वर्ष में साहित्यकारों का दायित्व और भी अधिक बढ़ गया है। आज ऐसे साहित्य का सृजन होना चाहिए जो ‘प्रश्न नहीं ‘उत्तर’ बने। आज चारों-तरफ़ केवल प्रश्न ही प्रश्न है, उत्तर कहीं नहीं है। भारत के साहित्याकारों को अपनी महान काव्य-परंपरा का स्मरण करते हुए, प्रश्नों का उत्तर बनना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अगले २५ वर्षों का एक ऐसा अनुष्ठान करना चाहिए कि देश का कोई प्रश्न नहीं बचे और भारत विश्व का श्रेष्ठतम राष्ट्र सिद्ध हो।इस अवसर पर कवियों ने देश के अमर बलिदानियों को अपनी रचनाओं में स्मरण किया और उन्हें काव्यांजलि दी। इनमे सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, आचार्य विजय गुंजन, डा सुलक्ष्मी कुमारी, कुमार अनुपम, माधुरी भट्ट, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ , डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, पं गणेश झा, राजप्रिया रानी, मौसमी सिन्हा, पंकज प्रियम, अंकेश कुमार, कौसर कोल्हुआ कमालपुरी, डा आर प्रवेश, रजनीश कुमार गौरव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, राज किशोर झा, रेखा सिन्हा तथा प्रकाश कुमार बाजपेयी के नाम सम्मिलित हैं।आयोजन में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा ध्रुब कुमार, अभिजीत कश्यप, अम्बरीष कांत, चंदा मिश्र, लता प्रासर, ऋतुराज पूजा, नूतन सिन्हा, श्रीकांत व्यास, अमरेन्द्र कुमार, डा कुंदन कुमार, कृष्ण मुरारी, राजीव रंजन, चंद्रशेखर आज़ाद, अमन वर्मा, संजीव कर्ण, अर्जुन कुमार सिंह सम्मिलित थे। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।