कौशलेन्द्र पाराशर की विशेष रिपोर्ट /20 साल बाद अमेरिका के राष्ट्रपति के गलती के कारण अफगानिस्तान में तालिबान सरकार, अगर ट्रम्प होते राष्ट्रपति नहीं होता अफगानिस्तान में तालिबान सरकार, दुनिया के सबसे शक्ति शाली देश समझने वाला अमेरिका अपने राष्ट्रपति के गलत नीति से हार गया. कंट्री इनसाइड न्यूज़ प्रधानमंत्री मोदी से अपील करता है की एकदम शांत रहे, आज देश में में सिर्फ मोदी को हराने का साजिश है, आपको पता होना चाहिए की आज देश में तालिबान समर्थक मौजूद है. आप शांत रहे, आप ही तालिबान को हरायेगे .रविवार 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. अफगान सेना ने तालिबान लड़ाकों के सामने बिना संघर्ष के ही हथियार डाल दिए. इस बीच खबर है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्तान छोड़ तजाकिस्तान भाग गए हैं. हालांकि इस बारे फिलहाल कोई पुष्ट जानकारी नहीं. ऐसे में अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान की सत्ता तय मानी जा रही है. इसके साथ ही नए राष्ट्रपति के नाम को लेकर स्थिति साफ होती नजर आ रही है. अंग्रेजी न्यूज चैनल सीएनएन-न्यूज18 की खबर के मुताबिक तालिबान के मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति घोषित किए जाने की संभावना है.मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक हैं, जिन्होंने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी. 2012 के अंत तक मुल्ला बरादर के बारे में बहुत कम चर्चा होती थी. हालांकि उनका नाम तालिबान कैदियों की सूची में सबसे ऊपर था, जिन्हें शांति वार्ता को प्रोत्साहित करने के लिए अफगान रिहा करना चाहते थे. तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने 2018 में उन्हें रिहा कर दिया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि उसे पाकिस्तान में रखा जाएगा या फिर किसी तीसरे देश में भेजा जाएगा. मुल्ला बरादर की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि गिरफ्तारी के समय उन्हें तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक माना जाता था.तालिबानी संगठन का सबसे बड़ा नेता अमीर अल-मुमिनीन है, जो राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों के लिए जिम्मेदार है. फिलहाल इस पद पर मौलवी हिबतुल्ला अखुंदजादा हैं. यह पहले तालिबान के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. इनके तीन सहायक हैं. राजनीतिक सहायक- मुल्ला अब्दुल गनी बरदार, अखुंदजादा के राजनीतिक सहायक हैं. वह तालिबान का उपसंस्थापक और दोहा के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख भी है. सहायक – फिलहाल तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मुहम्मद याकूब इस पद पर है.अशरफ गनी बोले- लोगों की रक्षा के लिए छोड़ा देश,अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के आने के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़ दिया. अफगानिस्तान छोड़ तजाकिस्तान पहुंचे अशरफ गनी से सोशल मीडिया पर बयान जारी किया है. गनी ने लिखा कि खून की बाढ़ को रोकने के लिए उन्हें यही रास्ता सबसे सही लगा. गनी ने कहा कि यह उनके लिए कठिन चुनाव था.गनी ने लिखा, ‘आज, मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया; मुझे सशस्त्र तालिबान का सामना करना चाहिए जो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करना चाहता था या प्रिय देश (अफगानिस्तान) को छोड़ना चाहिए जिसकी मैंने पिछले बीस वर्षों की रक्षा और रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.’ गनी ने लिखा, ‘अगर अभी भी अनगिनत देशवासी शहीद होते और वे काबुल शहर का विनाश देखते, तो परिणाम इस 60 लाख आबादी वाले शहर में बड़ी मानव आपदा आ जाती.’ गनी ने लिखा, ‘तालिबान ने मुझे हटाया, वे यहां पूरे काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने के लिए आए हैं.