कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / पटना से लेकर कहलगांव तक गंगा उफनाई हुई है. गंगा हाथीदह के बाद भागलपुर में भी जलस्तर के पुराने रिकॉर्ड को पार कर चुकी है. भागलपुर में गंगा काइस्माइलपुर-बिंदटोली बाया तटबंध 10 मीटर की चौड़ाई में टूट गया है, जिसे जल संसाधन विभाग के इंजीनियर बंद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. वैसे पटना में गंगा का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है. इलाहाबाद से बक्सर तक यह नदी तेजी से उतर रही है. पुनपुन नदी के जलस्तर में भी कमी हो रही है. सोन नदी अभी भी लाल निशान के ऊपर बह रही है.नेपाली नदियों ने उत्तरी बिहार में बाढ़ की विभीषिका बढ़ा दी है. सोमवार को गंगा बक्सर में लाल निशान से नीचे आ गई. वहां गंगा 64 सेंटीमीटर नीचे उतर कर खतरे के निशान से 7 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. दीघा में 15 सेंटीमीटर घटने के बाद भी लाल निशान से गंगा 124 सेंटीमीटर से उपर बह रही है. गांधी घाट में रविवार को पुराने एचएफएल यानी हाई फ्लड लेवल को छूने के करीब थी, लेकिन जलस्तर गिरने लगा. सोमवार को गांधी घाट पर गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी, जबकि सोमवार को गांधी घाट पर गंगा 11 सेंटीमीटर नीचे उतर कर लाल निशान से 174 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी. यहां जलस्तर 50.34 मीटर है, जबकि एसएफएल 50.5 2 मीटर. पटना के हाथीदह में गंगा नदी अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. सोमवार को यहां गंगा खतरे के निशान से 177 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी. भागलपुर में भी गंगा खतरे के निशान से 105 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. वहां दो उच्चतम स्तर को पार कर नया रिकॉर्ड बना चुकी है. इसके साथ ही मुंगेर में 78 और कहलगांव में खतरे की निशान से 141 सेंटीमीटर ऊपर यह नदी बह रही है. फरक्का में गंगा खतरे के निशान से 149 सेंटीमीटर ऊपर है. पटना के मनेर में सोन नदी भी खतरे के निशान से 133 सेंटीमीटर ऊपर है तो पुनपुन श्रीपालपुर में 109 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. कोसी, गंडक, बागमती और कमला सहित कई दूसरी नदियां उफान पर हैं. खगड़िया में कोसी लाल निशान से सवा 2 मीटर ऊपर चली गई है. गोपालगंज में गंडक नदी लगभग 34 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बागमती मुजफ्फरपुर में 111 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है तो सीतामढ़ी में भी 150 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर चली गई है. कमला नदी झंझारपुर में लगभग ढाई मीटर ऊपर बह रही है, जबकि जयनगर में यह नदी खतरे के निशान से 45 मीटर ऊपर चली गई है. अधवारा सीतामढ़ी में खतरे के निशान से 140 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जबकि खिरोई दरभंगा में खतरे के निशान से 45 मीटर ऊपर चली गई है. सिवान में घाघरा नदी की बात करें तो वह खतरे के निशान से 43 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है.