पटना, २१ अगस्त। देश में स्वास्थ्य-सेवाओं के लिए उपलब्ध आधारभूत संरचना पर्याप्त नहीं है। बिहार प्रदेश में यह और भी अपर्याप्त है। इसे बहुत अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इसमें निजी संस्थानों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। हेल्थ इंस्टिच्युट जैसे संस्थान स्वास्थ्य-सेवाओं में यथोचित योगदान दे सकते हैं। देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा और स्वास्थ्य का समान अधिकार मिलना चाहिए।
यह बातें, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च के ३२वें शैक्षणिक-सत्र का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य-सेवाओं को परिपूर्ण करने के लिए केवल चिकित्सक ही नहीं, अन्य पद्धति के उपचार कर्ता, फ़िजियोथेरापिस्ट, स्पीचथेरापिस्ट, पारामेडिकल में प्रशिक्षित तकनीशियन, परिचारिकाएँ आदि भी आवश्यक हैं। और इन सबका सम्यक् प्रशिक्षण भी आवश्यक है। यह प्रसन्नता और गौरव की बात है कि इन पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण हेतु बिहार में इस संस्थान द्वारा पहल की गई। गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देना, ऐसे प्रत्येक संस्थान का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।विश्वविद्यालय सेवा आयोग,बिहार के अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध नेत्ररोग विशेषज्ञ डा राजवर्धन आज़ाद ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए छात्र ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसलिए छात्रों के उचित प्रशिक्षण पर बाल दिया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थीयों से, निष्ठापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा समाज की सेवा के लिए अवसर निकालने का आग्रह किया। पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने नव-आगंतुक छात्र-छात्राओं को अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि कोई भी शैक्षणिक संस्थान उचित प्रबंधन, न्यायपूर्ण अनुशासन, प्रशिक्षण के प्रति निष्ठावान विद्यार्थी और संकल्पवान शिक्षकों की प्रतिबद्धता से चलता और प्रतिष्ठित होता है। प्रत्येक के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य के साथ भी न्याय होना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह संस्थान पूर्व की भाँति मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शोध और उपाय करता रहेगा।समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख तथा ख्यातिलब्ध साहित्यकार डा अनिल सुलभ ने कहा कि १९९० में राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त कर, जब इस संस्थान की स्थापना हुई थी, उस समय अविभाजित बिहार के पटना चिकित्सा महाविद्यालय,फ़िज़ियोथेरापी का दो वर्षीय डिप्लोमा, राँची और दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय में एक वर्षीय एक्स-रे तकनीशियन तथा पब्लिक हेल्थ इंस्टिच्युट,पटना में एक वर्षीय लैब तकनीशियन के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते थे। इस संस्थान ने पुनर्वास-विज्ञान और पारामेडिकल के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रमाण-पत्र से लेकर उच्चस्तरीय पाठ्यक्रमों का आरंभ कर एक बड़े अभाव की पूर्ति करने की चेष्टा की।इसी का परिणाम है कि यहाँ से उत्तीर्ण छात्र-छात्राएँ संसार भर में, पीड़ित मानवता की मूल्यवान सेवा करते हुए, यश और धन प्राप्त कर रहे हैं। संस्थान अपनी ३२ वर्षों की गौरवशाली परंपरा को, अनेक बाधाओं के पश्चात भी, और अधिक उत्कृष्ट बनाने का निरंतर प्रयास करता रहा है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण उच्च प्राथमिकता में है।
इंडियन ऐशोसिएशन औफ़ फिजियोथेरापिस्ट्स के प्रदेश अध्यक्ष डा नरेंद्र कुमार सिन्हा, डा अजय शरण, तथा अम्बरीष कांत ने भी विद्यार्थीयों का उत्साह-वर्धन किया। अतिथियों का स्वागत संस्थान के प्रबंध निदेशक आकाश कुमार ने, धन्यवाद-ज्ञापन प्रशासी पदाधिकारी सूबेदार उपेन्द्र सिंह ने तथा मंच का संचालन प्रो संतोष कुमार सिंह ने किया। आरंभ में संगीताचार्य पं श्याम किशोर के निर्देशन में संस्थान की छात्राओं ने स्वागत-गान से अतिथियों का अभिनन्दन किया।इस अवसर पर, डा नवनीत कुमार, डा संजीत कुमार, प्रो स्नेहा चौहान, बी पी सिंह, प्रो मणिमाला कुमारी, अभियन्ता विजय कुमार, डा इनायतुल्लाह पालवी, डा अकील अहमद सिद्दीक़ी, डा नीलू कुमारी, सूबेदार संजय कुमार, अमित कुमार सिंह , शुभ लक्ष्मी कुमारी, समेत संस्थान के छात्रगण उपस्थित थे।