सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट /सरकार एक जिला एक उत्पाद कृषि योजना में बलिया के परवल को शामिल किया है, अब इससे जुड़े हजारों किसानों की तकदीर चमकेगी। कृषि विभाग की देखरेख में अब खेती होगी। उत्पाद की पैकेजिंग व ब्रांडिंग कर उसे देश के दूसरों राज्यों और विदेशों तक भेजने की व्यवस्था होगी। किसानों का मुनाफा तो बढ़ेगा ही, बेरोजगार युवा खेती के माध्यम से भी अपनी किस्मत लिखने में सक्षम होंगे।उत्पाद का प्रचार-प्रसार करने के लिए हर जिले में दो दिन का मेला लगाया जाएगा। जिसमें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री व कृषिमंत्री आदि पहुंचकर किसानों का हौसला बढ़ाएंगे। इसी मेले में उद्यमी और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ भी आएंगे, जो संबंधित फसल को बेहतर उपजाने के गुर सिखाएंगे। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय और डाॅ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, पूसा, बिहार के मध्य सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ है। विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ शोध के दम पर बलिया के कृषि क्षेत्र में बहुत कुछ बदलाव करने जा रहे हैं.बलिया में गंगा और सरयू के तटवर्ती इलाकों में लगभग 800 एकड़ में परवल की खेती होती है। अब बहुत से किसान काली मिट्टी पर भी परवल की खेती करने लगे हैं। ऐसे में यह आकड़ा बढ़ भी सकता है। सीजन में जनपद में प्रतिदिन 6000 क्विंटल परवल का उत्पादन होता है, लेकिन उत्पाद बेचने के लिए अच्छा बाजार नहीं मिल पाता। इस वजह से कम मुनाफा होता है। किसान नगर के मंडी, रानीगंज, सिंकदरपुर, बेल्थरारोड, बांसडीह, रसड़ा या अपने नजदीकी बाजारों में परवल की बिक्री करते हैं। बैरिया तहसील क्षेत्र के किसान बिहार के रिविलगंज और छपरा जाकर परवल की बिक्री करते हैं।जिलों के कृषि उत्पादों की बेहतरी के लिए अक्टूबर से दिसंबर तक अभियान चलेगा। किसानों को बेहतर जानकारियां दी जाएंगी। यह पहल युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। बलिया में पहले से ही भारी संख्या में युवा परवल की खेती करते हैं। सिताबदियारा के किसान झूलन सिंह ने बताया कि अपनी माटी पर तुमरिया और शंखा दो प्रजाति के परवल की खेती होती है। प्रति बीघा लागत अभी के समय में 25 से 30 हजार होता है। बाजार ठीक रहा तो मुनाफा 70 हजार से एक लाख तक हो सकता है। ओडीओपी के तहत यदि सरकार सहयोग करेगी तो मुनाफा का दायरा निश्चित तौर पर बढ़ जाएगा।आडीओपी में बलिया के परवल का चयन होने से युवा वर्ग को ज्यादा लाभ होगा। इस खेती से वह तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। शासन स्तर से इसके लिए बहुत से कार्यक्रम आयोजित होने हैं। उसमें किसानों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।