पटना, २७ अगस्त। हिन्दी भाषा और साहित्य में अभिरूचि रखने वाले सभी प्रकार के तकनीकी विशेषज्ञों को चाहिए कि वे अपने विषय के अंग्रेज़ी में प्रकाशित पाठ्य-पुस्तकों को व्यावहारिक हिन्दी में अनुवाद करें। संभव हो तो हिन्दी में ही मौलिक पुस्तकों की रचना हो। इससे हिन्दी के एक बड़े अभाव की पूर्ति हो सकेगी तथा अंग्रेज़ी की अनिवार्यता भी समाप्त होगी। यह बातें शुक्रवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा क्रांति चन्दन जयकर की पुस्तक ‘मेरे दिवस गीत एवं आलेख’ के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि डा क्रांति एक प्रतिभाशाली कवि हैं और इनकी भाषा भी प्रांजल है। लोकार्पित पुस्तक में संकलित कविताएँ किसी न किसी दिवस-विशेष पर रचित हैं और उनमे कवि ने अपने मौलिक विचारों और भावों की प्रांजल अभिव्यक्ति की है। इसलिए इनसे हिन्दी साहित्य को स्वाभाविक रूप से अपेक्षा होगी कि वे चिकित्सा-विज्ञान के पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करें तथा यथा-साध्य मौलिक सृजन भी करें।डा सुलभ ने कहा कि डा क्रांति भाव-संपदा से समृद्ध एक विचार संपन्न कवि हैं। विभिन्न दिवसों, यथा, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, पृथ्वी दिवस, स्त्री दिवस, गांधी जयंती आदि पर कवि ने अपनी अलग ही दृष्टि रखी है, जो न केवल रोचक बल्कि प्रेरक भी है। पुस्तक का लोकार्पण करते हुए, सुप्रसिद्ध नाक,कान एवं गला-रोग विशेषज्ञ डा बृजलाल ने लेखक को हार्दिकता से बधाई दी तथा पुस्तक की सफलता के लिए शुभकामनाएँ प्रदान की।कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, पुस्तक के लेखक डा जयकर ने कहा कि हमारी संस्कृति में रोग-निवारण की बात से पहले स्वास्थ्य की बात आती है। हम संसार को यह बताना चाहते हैं कि यदि हम भारतीय दर्शन को अपनाएँ तो अनेक प्रकार के रोगों से बच सकते हैं। मैंने विशेष दिवसों पर अपनी कविताएँ लिखी और अपने आलेख भी लिखे, जो पुस्तक रूप में आज लोकार्पित हो रही है। डा जयकर ने अपनी पुस्तक से ‘हिन्दी दिवस’ ‘योग-दिवस’, तथा ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ शीर्षक कविता का पाठ भी किया। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में फ़िज़ियोलौजी विभाग के अध्यक्ष एवं कवि डा तरुण कुमार, अम्बरीष कांत तथा कुमार अनुपम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन में वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, कुमार अनुपम, जय प्रकाश पुजारी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा आर प्रवेश, राज किशोर झा तथा अर्जुन कुमार सिंह ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। समारोह में, वरिष्ठ साहित्यसेवी सुरेंद्र बिस्मिल, डा ऋतु, बाँके बिहारी साव, कमल किशोर वर्मा, यदुनंदन प्रसाद, सुशील सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुकोमल पारिजात, सुरेंद्र चौधरी, गणेश प्रसाद , दुःख दमन सिंह, विद्या भूषण प्रसाद आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।