पटना :कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /जदयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देश के प्रधानमंत्री बनाने की गूंज के बीच संपन्न हुआ। बैठक में 8 प्रस्ताव पेश किए गए। जदयू के पहले प्रस्ताव में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने पर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी। वहीं रामचंद्र प्रसाद सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदान के प्रति आभार व्यक्त और उनके कार्यकाल की प्रशंसा पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का अनुमोदन किया गया। वहीं दूसरे प्रस्ताव में पार्टी संविधान में संशोधन का था। राष्ट्रीय परिषद में यह प्रस्ताव किया गया कि संविधान की धारा 28 में आवश्यक संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया जाए जिसमें जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे अथवा किसी को अध्यक्ष मनोनीत करने के साथ सदस्यों का मनोनयन करेंगे.तीसरे प्रस्ताव में राष्ट्रीय परिषद ने आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में एनडीए के साथ समुचित हिस्सेदारी के आधार पर चुनाव लड़ने की पहल करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया है . चौथे प्रस्ताव में जातीय आधार पर जनगणना का है। पार्टी के प्रस्ताव में कहा गया कि आवश्यक है कि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना कराकर सभी जातियों का वास्तविक आंकड़ा सार्वजनिक करें. जिससे सुविधा विहीन और विकास से वंचित जातियों को उनकी आबादी के अनुरूप साधन एवं सुविधा मुहैया हो सके। जनगणना समाज और सरकार सबके हित में होगी और इससे हमारी संसदीय लोकतंत्र मजबूत होगा। पांचवें प्रस्ताव में राष्ट्रीय परिषद की मांग है कि जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाए ताकि बिहार की तर्ज पर अत्यंत पिछड़े वर्गों को सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयासों को अधिक बल मिल सके. जेडीयू छठे प्रस्ताव में जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षित कन्या-सुखी परिवार के बिहार मॉडल को जनसंख्या कम करने का लक्ष्य बनाने का प्रस्ताव था। जनता दल यूनाइटेड किसी कठोर नियंत्रण अथवा किसी नकारात्मक नतीजों वाले प्रयास के बजाय जागरूकता अभियान एवं बालिका शिक्षा के विस्तार के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को कम करने का समर्थन करता है .जनता दल यूनाइटेड के सातवें प्रस्ताव में मेडिकल परीक्षाओं में की गई आरक्षण व्यवस्था का स्वागत किया गया । पार्टी का मानना है कि इसमें पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 10% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. इससे वंचित समूह को सामाजिक न्याय एवं विशेष अवसर मिलेंगे। इस प्रोत्साहन से चिकित्सा सेवा क्षेत्र में समानता उपलब्ध कराने के प्रयास में सफलता मिलेगी. आठवें प्रस्ताव में शोक प्रकाश था जिसमें नेताओं के निधन शोक व्यक्त किया गया।