कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / भारत सरकार के नरमी का फायदा उठाकर पाकिस्तान का भारत एजेंट रहे अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का 92 साल की उम्र में श्रीनगर में बुधवार रात को निधन हो गया। उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। कश्मीर में गिलानी की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था। भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च सम्मान दिया था सैयद अली शाह गिलानी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के सदस्य और हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष गिलानी पिछले दो दशक से विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे. वह तीन बार विधायक भी रह चुके थे. 92 साल के गिलानी की पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन में मुख्य भूमिका रही. उनके परिवार के एक सदस्य के मुताबिक, बुधवार रात करीब 10:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उनके निधन पर शोक जताया और ट्वीट कर कहा, “गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं. ज्यादातर बातों पर हमारे बीच सहमति नहीं थी, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और अपने विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करती हूं. अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दें और उनके परिवार और शुभचिंतकों को सांत्वना दें.