दिल्ली :प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट / दोपहर बाद अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार होगी,चलेगा अफगानिस्तान शरिया कानून से .धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को देश का सर्वोच्च नेता बनाया जाएगा. तालिबान ने गवर्नर्स और मेयर्स की नियुक्ति पहले ही कर ली है. कैबिनेट मंत्रियों के नाम भी फाइनल कर लिए गए हैं. तालिबानी नेता समांगनी ने कहा कि नई सरकार के तहत, गवर्नर प्रांतों के प्रमुख होंगे और जिला गवर्नर अपने जिले के प्रभारी होंगे.ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है. तालिबान इसी मॉडल पर सरकार बना रहा है.वरिष्ठ नेता अहमदुल्लाह मुत्तकी ने सोशल मीडिया पर बताया कि राष्ट्रपति भवन में एक समारोह की तैयारी हो रही है. अखुंदजादा सबसे बड़े राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होंगे. उनका पद राष्ट्रपति से भी ऊपर होगा. वह सेना, सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति कर सकेंगे. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में उनका निर्णय आखिरी माना जाएगा. नई सरकार के तहत, गवर्नर प्रांतों के प्रमुख होंगे और ‘जिला गवर्नर’ अपने जिले के प्रभारी होंगे. तलिबान ने पहले ही प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नरों, पुलिस प्रमुखों और पुलिस कमांडरों की नियुक्ति कर दी है. नई प्रशासन प्रणाली का नाम, राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रगान पर अभी फैसल लिया जाना बाकी है. इस बीच दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में उप नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने गुरुवार को विदेशी मीडिया चैनलों को बताया कि नई सरकार में अफगानिस्तान के सभी कबीलों के सदस्यों और महिलाओं को शामिल.जो कोई भी पिछले 20 साल में अफगानिस्तान में पूर्ववर्ती सरकारों में शामिल था उसे नए तालिबान प्रशासन में जगह नहीं मिलेगी.’ मुल्ला अखुंदजादा कंधार से सरकार का कामकाज देखेगा. समांगनी ने कहा कि तालिबान यूरोपीय संघ, अमेरिका और भारत से दोस्ताना संबंध चाहता है और इसके लिए दोहा में तालिबान का राजनीतिक ऑफिस विभिन्न देशों के संपर्क में है. अगले 48 घंटे में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरु करने की भी योजना है. तालिबान ने कहा है कि वो फंड्स के लिए चीन पर निर्भर है, क्योंकि चीन ही उनके लिए सबसे भरोसेमंद सहयोगी है. कुछ दिन पहले तालिबान में नंबर दो माने जाने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने बीजिंग का दौरा किया था. इस दौरान चीन के विदेश मंत्री से बातचीत की थी. बता दें कि अफगानिस्तान में 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 200 लाख करोड़ रुपए) की खनिज संपदा है, जिस पर दुनिया की फैक्ट्री के तौर पर स्थापित हो चुके चीन की नजर है.तालिबान चीन को भरोसा दिला चुका है कि वो उईगर मुस्लिमों के कट्टरपंथी तत्वों पर नकेल कसकर रखेगा. अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा. हालांकि, तालिबान ने भारत समेत पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी मुल्क के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा.