पटना, ७ सितम्बर। हिन्दी और भोजपुरी के युवा साहित्यकार रजनीश कुमार गौरव, कोमल भावनाओं से युक्त एक संवेदनशील और संभावनावान सुकवि हैं। इनकी प्रथम काव्य-कृति ने ही सिद्ध कर दिया है कि कवि की भावभूमि व्यापक और मंगलकारी है। कवि में वे सारे गुण और तत्त्व विद्यमान है, जिससे यह आशा बँधती है कि भिविश्य में हमें हिन्दी और भोजपुरी का एक श्रेष्ठ कवि प्राप्त होगा।यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, मंगलवार को दियारा प्रकाशन के तत्त्वावधान में, श्री गौरव के काव्य-संग्रह ‘हमें भी कुछ कहना है’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि नवोदित कवि ने अपने प्रथम प्रयास में ही जीवन के विविध रंगों, रूपों एवं भावों को, समाज की समस्त पीड़ाओं और समस्याओं को शब्द और स्वर देने की चेष्टा की है, यह अत्यंत सुखद है।पुस्तक का लोकार्पण करते हुए, हिन्दी और भोजपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार डा तैयब हुसैन ‘पीड़ित’ ने कवि के प्रति न केवल अपने मंगलभाव को ही व्यक्त किया, अपितु काव्य-पुस्तक की समीक्षात्मक टिप्पणी भी दी। उन्होंने कवि की खूबियों की भी चर्चा की तथा उनसे अनेक अपेक्षाएँ भी की।वरिष्ठ कवि राजा राम सिंह प्रियदर्शी’, श्रीभगवान राम, डा आर प्रवेश, अविनाश नागदंश, घमण्डी राम तथा डा सीमा रानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन कवयित्री लता प्रासर ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन विजय कुमार ठाकुर ने किया।इस अवसर पर, डा रामदास राही, आचार्य विजय गुंजन, कपिलदेव ठाकुर कृपाला, मोईन गिरीडीहवी, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, कृष्णरंजन सिंह, सुनील कुमार दूबे, अर्जुन कुमार ठाकुर, तलत परवीन, चंदन कुमार ठाकुर, निखिल नन्दिनी, नीरज ठाकुर, अनिल कुमार सुमन, शिवशंकर ठाकुर, पं गणेश झा तथा राम किशोर ठाकुर समेत बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।