दिल्ली :कौशलेन्द्र पाराशर की विशेष रिपोर्ट / अफगानिस्तान में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों ने सरकार बना ली, सुपर पावर अमेरिका के मुंह पर करारा तमाचा है. तालिबान ने पत्रकारों को जमीन पर नाक रगड़ने की सजा दी. रसिया को भगाने के लिए जिस अमेरिका ने तालिबान का प्रयोग किया आज वही तालिबान अमेरिका की गले की हड्डी बन गया. पूरी दुनिया आंख मूंदकर बैठी है सभी को पता है सरिया के अनुसार एक चलेगी सरकार. भारत के मोदी सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है. अफगान में बन रही सरकार को नहीं देनी चाहिए किसी कीमत पर मान्यता. अमेरिका में मोस्ट वॉन्टेड आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को अफगानिस्तान का नया गृहमंत्री बनाया है. सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में भी है. अमेरिका ने उसके बारे में सूचना देने पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई सरकार के बारे में जानकारी दी. तालिबानी सरकार में मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है. उनके साथ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मुल्ला अब्दुस सलाम को डिप्टी पीएम बनाया गया है. तालिबान प्रमुख शेख हैब्दुल्लाह अखुंदजादा सुप्रीम लीडर बनाए गए हैं, जिसे अमीर-उल-अफगानिस्तान कहा जाएगा.हक्कानी नेटवर्क को चलाने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में कहा जाता है कि वो पाकिस्तान नॉर्थ वजीरिस्तान के मिराम शाह इलाके में रहता है. हक्कानी नेटवर्क के इस शीर्ष आतंकवादी का नाम FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में अभी भी शामिल है.हक्कानी नेटवर्क के ऑपरेशन की कमान जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी ने संभाली है. कहा जाता है कि क्रूरता के मामले में वो अपने पिता से भी आगे है. साल 2008 से लेकर 2020 तक अफगानिस्तान में हुए कई बड़े आतंकवादी हमलों में सिराजुद्दीन का हाथ रहा है. यह भी बताया जाता है कि हक्कानी नेटवर्क से 15 हजार आतंकी जुड़े हुए हैं.अमेरिका सिराजुद्दीन हक्कानी को अपना बड़ा दुश्मन मानता है. साल 2008 में अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की साजिश रचने में भी इस खूंखार आतंकी का नाम सामने आया था. सिराजुद्दीन पर जनवरी 2008 में काबुल में एक होटल पर बम हमले का आरोप है. इस हमले में छह लोग मारे गये थे, जिसमें अमेरिकी भी शामिल थे. यूनाइटेड स्टेट के खिलाफ अफगानिस्तान में क्रॉस बॉर्डर अटैक में भी सिराजुद्दीन का हाथ माना जाता रहा है.सिराजुद्दीन के बारे में यह भी बताया जाता है कि तालिबान और अलकायदा से उसके करीबी संबंध है. 2015 में नेटवर्क के मौजूदा प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान का डिप्टी लीडर बनाया गया था. पाकिस्तान से सीधा संबंध होने की वजह से भी यह आतंकी संगठन अब भारत के लिए बड़ी चिंता का कारण बना है.पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI हक्कानी नेटवर्क को पनाह देती रही है और उसे समय-समय पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करती रही है. पूर्वी अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क का प्रभाव सबसे ज्यादा है. अफगानिस्तान में प्रभावी इस संगठन का बेस पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिम सीमा में है. तालिबा का एक ही मकसद है- पूरे दुनिया पर लागू हो शरिया.