कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट पटना से , ८ सितम्बर । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में फ़िज़ियोथेरापी की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रही है। इसमें आए तकनीकी विकास ने पूरी दुनिया में एक क्रांति उत्पन्न कर दी है। इसका उपयोग अब मानव शरीर की अनेक समस्याओं के निदान और पीड़ा के उपचार में किया जा रहा है। इसमें सभी प्रकार की पीड़ा और शारीरिक बाधाओं के निदान की व्यवस्था है।यह बातें बुधवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में, विश्व फ़िज़ियोथेरापी दिवस पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि कोविड-१९ से संसार को बचाने में भी फ़िज़ियोथेरापी की भूमिका अत्यंत महत्तवपूर्ण सिद्ध हुई है। आज इसकी आवश्यकताओं को संसार ने ठीक से समझा है। इसीलिए प्रशिक्षित फ़िज़ियोथेरापिस्टों की भारी मांग है। समारोह के मुख्यअतिथि और इंडियन एशोसिएशन औफ़ फ़िजियोथेरापिस्ट्स, बिहार के अध्यक्ष डा नरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि वर्ल्ड कनफेडरेशन औफ़ फ़िज़ियोथेरापिस्ट्स का प्रथम सम्मेलन ८ सितम्बर, १९५२ को हुआ था। उसी की स्मृति में वर्ष १९९८ से पूरी दुनिया में फ़िज़ियोथेरापी की उपयोगिता के संबंध में दुनिया को जागरूक कारने हेतु विश्व फ़िज़ियोथेरापी दिवस मनाया जाता है।एसोसिएशन के राज्य सचिव और इस संस्थान के पूर्ववर्ती छात्र डा उमा शंकर सिन्हा ने कहा कि आज पूरी दुनिया यह जान चुकी है कि शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों का समाधान केवल फ़िज़ियोथेरापी में है। किसी भी प्रकार की पीड़ा का उपचार अंग्रेज़ी दवाइयाँ नहीं, फ़िज़ियोथेरापी है। जब आधुनिक चिकित्सा-विज्ञान अपना हथियार डाल देता हैं, वहाँ से फ़िजियथेरापी आरंभ होती है।डा टी आर आज़ाद ने कहा कि इंग्लैंड में कोविड-१९ अस्पतालों का नेतृत्व फ़िजियोथेरापिस्टों के हाथ में था, क्योंकि वे ही चेस्ट-फ़िज़ियोथेरापी के माध्यम से रोगियों के ऑकसीजन स्तर को स्थिर कारने और बढ़ाने में सफल हो रहे थे।संस्थान के प्राध्यापक डा दीपक कुमार, एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष डा अखिलेश झा , डा निरंजन कुमार तथा डा नवनीत कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन फ़िज़ियोथेरापी की वरिष्ठ छात्रा सांभवी और सौम्या ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार उपेन्द्र सिंह ने किया।इस अवसर पर डा संजीता रंजन, डा आदित्य ओझा, बी पी सिंह , प्रो मधुमाला, प्रो चंद्रा आभा तथा प्रो स्निग्धा वर्मा समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक एवं छात्रगण उपस्थित थे।