कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / पूरे विश्व में देख लिया मोदी के विदेश नीति को. आतंकवाद के विरूद्ध भरत लड़ता है और लड़ता रहेगा. आतंकवादी किसी भी देश के सगे नहीं हो सकते, पूरे विश्व के लिए आतंकवाद खतरा है.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को साफ कर दिया कि भारत अफगानिस्तान में क तालिबानी हुकूमत को मान्यता किसी कीमत पर नहीं देगा।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- भारत तालिबान की नई सरकार को एक व्यवस्था से ज्यादा कुछ नहीं मानता है।मंत्री जयशंकर ने तालिबान सरकार में सभी वर्गों की सहभागिता की कमी को भी चिंताजनक बताया। इससे पहले तालिबान को मान्यता देने को लेकर भारत ने वेट एंड वॉच की बात कही थी।ऑस्ट्रेलिया के साथ शनिवार को टू प्लस टू मीटिंग में दोनों देशों के नेताओं ने अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के हालात को लेकर चिंता जताई। मीटिंग में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए। वहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से विदेश मंत्री मेरी पायने और रक्षा मंत्री पीटर ड्यूटन शामिल हुए।बीस साल से अफगानिस्तान के विकास में योगदान दे रहा है और अफगान जनता इस बात को जानती है और यह दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती का सबूत है। भारत ने 2001 के बाद से अब तक अफगानिस्तान में तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। भारत ने अफगानिस्तान का नया संसद बनाया। कई नए हॉस्पिटल बनाए और कई हॉस्पिटल का पुनर्निर्माण किया। कई स्कूलों की मरम्मत की। सलमा डैम बिजली उत्पादन प्रोजेक्ट को पूरा किया। किलोमीटर 218जरंज-डेलाराम राजमार्ग और ट्रांसमिशन लाइन्स का निर्माण किया है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लेकर बैंकों और एयरलाइन्स की मदद की है। पिछले सा लों में अफगानिस्तान में सेवा करते हुए कम से कम 18 राजनयिक, डॉक्टर, इंजीनियर और सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं।तालिबान हरेक अफगान की बात नहीं रखता.यह साफ़ है कि भारत अफगान लोगों और तालिबान को अलग-अलग चश्मे से देख रहा है। दुनिया इस बात को मानती है कि तालिबान ने हथियार के दम पर सत्ता पर कब्जा कर लिया है और भारत का नजरिया भी यही है। यह एक सच्चाई है कि तालिबान हरेक अफगान लोगों की बात नहीं रखता। शायद सारे पश्तूनों की बात भी नहीं रखता जो कि अन्य अफगान समुदाय पर हावी रहे हैं.