पटना, १२ सितम्बर। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्वामिनी समिति, ‘स्थाई समिति’ ने, सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचित डा अनिल सुलभ में, सर्व सम्मति से विश्वास व्यक्त किया है। रविवार को सम्मेलन सभागार में डा सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुई स्थाई समिति की बैठक में सर्व सम्मति से डा सुलभ को, पाँच वर्षों के नए कार्यकाल के लिए कार्यसमिति के गठन सहित, सम्मेलन से संबंधित सभी प्रकार की नियुक्तियों की लिए अधिकृत किया गया। बिहार के विभिन्न ज़िलों से आए स्थाई समिति के सदस्यों, संबद्ध ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा सम्मेलन से संबद्ध संस्थाओं के प्रतिनिधि सदस्यों ने भी बैठक में भाग लिया और विभिन्न विषयों पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए।
बैठक कि आरंभ में सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ ने उन्हें एक बार फिर निर्विरोध निर्वाचित करने के लिए सदस्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। अपने अभिभाषण में उन्होंने अपने विगत कार्यकाल की महत्तवपूर्ण उपलब्धियों और कार्यों की चर्चा की। सम्मेलन की स्थापना के शतीवर्ष में आयोजित हुए राष्ट्रीय-स्तर के अनेक समारोहों के साथ उन्होंने देश भर की १०० विदुषियों, १०० विद्वानों, १०० युवा साहित्याकारों को ‘शताब्दी-सम्मान से अलंकरण के अलग-अलग समारोहों का विशेष रूप से उल्लेख किया। डा सुलभ ने कहा कि उनकी अध्यक्षता में गठित कार्यसमिति ने इतिहास का सृजन किया। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन जो ‘संस्था निबंधन अधिनियम -१८६० के अंतर्गत निबंधित नहीं था, जिस कारण से इसका कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं था, सम्मेलन की स्थापना के ९५वें वर्ष में इसका निबंधन कराया गया। निबंधन नहीं होने के कारण यह संस्था किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से वंचित थी, अब इसे वित्तीय सहायता प्राप्त हो सकती है। उन्होंने सम्मेलन की भावी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जिनमे बिहार के सभी साहित्यकारों का अनेक खंडों में प्रकाशित होनेवाले परिचय-ग्रंथ का प्रकाशन, साझा-संकलनों के प्रकाशन, सम्मेलन की शोध पत्रिका ‘सम्मेलन-साहित्य’ का प्रकाशन,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन के शताब्दी-समारोह का आयोजन तथा सम्मेलन परिसर के उन्नयन और सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव सम्मिलित हैं। डा सुलभ ने कहा कि शीघ्र ही कार्यसमिति साहित सभी अन्य समितियों और उपसमितियों का गठन कर लिया जाएगा। सभी ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन को सशक्त और प्रभावशाली बनाया जाएगा। संपूर्ण प्रांत में महिला साहित्यकारों एवं युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रांत और ज़िला स्तर पर ‘महिला साहित्यकार परिषद और युवा साहित्यकार परिषद का भी गठन किया जाएगा। ज़िला सम्मेलनों से आग्रह किया गया है कि वे अपना वार्षिक अधिवेशन अवश्य करें तथा उसमें साहित्य के विविध विषयों पर चर्चा समेत विद्वानों को विविध अलंकरणों से सम्मानित भी करें। बैठक में सम्मेलन के आर्थिक-स्रोतों को बढ़ाने तथा भावी योजनाओं पर सार्थक चर्चा हुई, जिसमें सदस्यों ने मूल्यवान परामर्श भी दिए।भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और स्थाई समिति के सदस्य प्रो अमरनाथ सिन्हा, हिन्दी ग्रंथ अकादमी के पूर्व निदेशक डा अमर कुमार सिंह, निवर्तमान कार्य समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, प्रधान मंत्री डा शिववंश पाण्डेय, पण्डित जी पाण्डेय, चंपारण ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो वागेश्वरी नंदन सिंह,बक्सर ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष महेश्वर ओझा ‘महेश’, लखीसराय ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधान मंत्री देवेंद्र सिंह आज़ाद, शिवहर ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह, ज्ञानेश्वर शर्मा, पूनम आनंद ,डा शलिनी पाण्डेय, कृष्णरंजन सिंह, डा नागेशवर प्रसाद यादव, बाँके बिहारी साव, डा अमरनाथ प्रसाद, डा आर प्रवेश, डा सुधा सिन्हा, प्रवीर पंकज, डा अर्चना त्रिपाठी, डा रेखा सिन्हा, डा सागरिका राय, सुषमा साहू, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बैठक का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने किया।
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