कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष -डॉक्टर. अनिल सुलभ ने हिंदी दिवस के अवसर पर कहा और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील किया कि जिस तरह अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उन्होंने वर्षों तक देश को दर्द दे रहा धारा 370 को खत्म कराया. लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया उसी तरह हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कराएं. हिंदी का विरोध कहीं नहीं है. तमिलनाडु से लेकर केरल तक लोग चाहते हैं. हिंदी राष्ट्रभाषा घोषित हो. वोट के लिए राजनीति करने वाले नेता ही हिंदी की विरोध करते हैं. तमिलनाडु -केरल- बेंगलुरु में एक से एक हिंदी के मूर्धन्य विद्वान हुए.हिन्दी प्रेम,सौहार्द व मिलन की भाषा है।दुनिया मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी का दूसरा स्थान है।विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है हिन्दी। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है। आज हिन्दी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।हिन्दी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्यरूप से आर्यों और पारसियों की देन है। हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। प्रकृति से उदार ग्रहणशील,सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है हिन्दी।