सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (नयी दिल्ली), 16 सितंबर ::आयुरयोग लाइफ इंस्टीट्यूट ने विशेष रूप से दुनिया भर में वर्तमान परिदृश्य में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव को ठीक करने पर ध्यान देने के साथ ही नेचर क्योर पर एक विशेष कार्यक्रम की शुरूआत किया है।आयूर योगा लाइफ इंस्टिट्यूट के योग प्रशिक्षक, सिद्धार्थ राय ने बताया कि साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान से उभरे आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि महामारी ने मुख्य रूप से कॉमरेडिटीज या पहले से मौजूद स्वास्थ्य मुद्दों जैसे मधुमेह, हृदय स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को अधिक प्रभावित किया है। अधिकांश पश्चिमी फार्मास्युटिकल दवाएं जो डब्ल्यूएचओ द्वारा संचालित एकजुटता ट्रेल्स के तहत राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल का हिस्सा थीं, वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी या उपचार के लिए कोई प्रभावकारिता ना होने के कारण वापस ले ली गई हैं, जबकि उपचार की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली की वैज्ञानिक प्रभाव अति प्रभावशाली रूप से सामने आई है।सूत्रों ने बताया कि आयूरयोग लाइफ इंस्टिट्यूट के संस्थापक प्रीतम कुमार सिन्हा ने बताया है कि सर्वविदित है कि वैश्विक स्तर पर महामारी की घोषणा से पहले ही चीन ने टीसीएम (आयुर्वेद), यिन यांग (योग) और प्राकृतिक आहार हस्तक्षेप आदि की चमत्कारी उपचार क्षमता के साथ कोरोना वक्र को कुशलता से पिछले वर्ष में हीं समतल कर दिया था। उन्होंने कहा कि उपरोक्त साक्ष्य के आलोक में, आयुरयोग लाइफ इंस्टीट्यूट ने विशेष रूप से प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और जीवन के समग्र स्वास्थ्य देखभाल आयामों के अनुसार महामारी के परिणाम को दूर करने और नागरिकों की प्रतिरक्षा में सुधार करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पर एक सप्ताह के ट्रेन द ट्रेनर कार्यक्रम को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।सिद्धार्थ राय ने यह भी बताया कि आयुरयोग लाइफ इंस्टीट्यूट द्वारा नियोजित विशेष पाठ्यक्रम में निम्नलिखित विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।(1) विशेष रूप से आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डिजाइन किए गए चिकित्सीय योगिक विज्ञान पर आधारित कोविद के लिए राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल की शिक्षा(2) नेचर क्योर हीलिंग के आयाम – एक गांधीवादी दृष्टिकोण।(3) आंतरिक मनोवैज्ञानिक उपचार प्रक्रिया।(4) औषधीय बागवानी गतिविधियाँ।(5) प्राकृतिक चिकित्सा आहार।(6) सरल ध्यान तकनीक।(7) योगिक गहन विश्राम तकनीक।(8) ऑक्सीजन संतृप्ति मुद्दों को हल करने के लिए नाद योग और नाद अनुसन्धान के प्रभाव।(9) ध्वनि अनुनाद तकनीक।(10) योग के चिकित्सीय पहलू विशेष रूप से कॉमरेडिडिटीज के लिए विशेष रूप से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए।प्राकृतिक चिकित्सा प्रक्रिया कोर्स की अवधि सात दिन की होगी और प्रारंभ होने की तिथि 02 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाएगा।