पटना, १८ सितम्बर। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का मंच आज पूरी तरह महिला साहित्यकारों को समर्पित रहा। बड़े दिनों के बाद आज सम्मेलन बिलकुल अलग तेवर और मिज़ाज में दिखा। कवयित्रियाँ भी ख़ूब मौज में रहीं और एक से बढ़कर एक गीत-ग़ज़ल सुनाकर, सम्मेलन-सभागार को ख़ुशनुमा माहौल से भर दिया। कवयित्रियाँ मंच पर प्रतिष्ठित थीं और कविगण श्रोता दीर्घा में बैठ कर इस यादगार क्षण को नयनों में भर कर रख लेना चाहते थे।चूड़ियों की खनक के साथ मधुर कंठों के स्वर से अनुगूँजित हो रहा था सम्मेलन का भव्य सभागार। हिन्दी सप्ताह के छठे दिन आज वरिष्ठ कवयित्री और सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा की अध्यक्षता में कवयित्री-सम्मेलन आयोजित किया गया था।
काव्य-सरिता में प्रथम जल-कलश बनी कवयित्री चंदा मिश्र ने वाणी की सस्वर वंदना की। सुकंठी कवयित्री आराधना प्रसाद ने, स्त्री-मन की सुरभि और सौंदर्य को इन पंक्तियों में अभिव्यक्ति दी कि, “नेह मेह बन आसमान पर छा जाओ ओ मेरे साजन/ रिमझिम रिमझिम प्रेम सुधा रस, बरसाओ ओ मेरे साजन” । डा पुष्पा जमुआर ने हिन्दी के सम्मान में ये पंक्तियाँ पढ़ी कि “हिन्दी एक भाषा नही, भारत की पहचान है/ वीरों की गाथा है यह / हिंद की सागरमाथा है यह”।
शायरा शमा कौसर ने सद्भाव की इन पंक्तियों से सब का दिल जीत लिया कि, “मस्जिद वो गिरजा रहे, और शिवालय भी रहे/ संतरी है ये हमारा, ये हिमालय भी रहे/ फूल हर रंग के हों और ये लाला भी रहे/ मुल्क में अमन का हर सू ये उजाला भी रहे”। तलत परवीन ने कहा कि “दिल है मेरा धड़कन उसकी/ साँस है मेरी क़ब्ज़ा उसका/ रूप है मेरा रंग है उसके/ सूरत मेरी खाका उसका”। कवयित्री मधुरानी लाल ने ऋंगार के इस दोहे से कि “अँखियाँ अँखियों से करे, प्रेम मिलन मनुहार/ नेह अमिय रस से पगी, सुध, बुध गई बिसार”, सभागार में प्रेम-रस का संचार कर दिया।
वरिष्ठ कवयित्री डा पुष्पा जमुआर, डा अर्चना त्रिपाठी, पूनम आनंद, डा सीमा रानी, डा सुमेधा पाठक, मधुरानी लाल, डा सुधा सिन्हा, अभिलाषा कुमारी, तलत परवीन, श्वेता मिनी, मोनी पटेल,प्रेम लता सिंह, लता प्रासर, डा रीता सिंह, डा रेखा सिन्हा, कुमारी मेनका ने भी अपनी रचनाओं से ख़ूबसूरत अहसास जगाया। आरंभ में कवयित्रियों का स्वागत करती हुई, सम्मेलन की साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी ने अपनी यह पंक्तियाँ पढ़ी कि “शब्द, शब्द नहीं रहते/ लिखे जाकर बनते हैं अर्थ”। मंच का संचालन कवयित्री शालिनी पांडेय ने किया।
सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ, कवि बच्चा ठाकुर, सुनील कुमार दूबे, डा विनोद शर्मा, कुमार अनुपम, विनय कुमार चौधरी, रवि अटल, डा आर प्रवेश, मोईन गिरीडीहवी, जयप्रकाश पुजारी, चितरंजन भारती, कृष्ण रंजन सिंह, रजनीश कुमार गौरव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी,काजिम रज़ा, डा कुंदन कुमार, शुभचंद्र सिन्हा, अर्जुन प्रसाद सिंह समेत बड़ी संख्या में साहित्यसेवी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।