पटना, १९ सितम्बर। गीतों के राज कुमार गोपाल सिंह नेपाली के अत्यंत लोकप्रिय गीत “मृगनयनी पिक बैनी तेरे सामने बाँसुरिया झूठी है”, अजमल सूलतानपुरी की रचना “मुसलमां और हिंदू की जान/ कहाँ है मेरा हिंदुस्तान/ उसे मैं ढूँढ रहा हूँ”, डा अनिल सुलभ के गीत “क्षण में किया पराया तुमने/ हृदय कितना दुखाया तुमने’ समेत १० हिन्दी गीतों की मधुर सांगितिक प्रस्तुति एवं १० कलाकारों को ‘विशिष्ट कला सम्मान के साथ, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, विगत १३ सितम्बर से आयोजित ‘हिन्दी-सप्ताह’ का रविवार को सामापन हो गया। गायक-संगीतकार और सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद द्वारा अनेक राग-रागिनियों में संगीत-बद्ध किए गए और अन्य कलाकारों के साथ गाए गए गीतों के इस विशेष कार्यक्रम ‘हिन्दी के मधुर गीत और शंकर के स्वर-संगीत’, का दर्शकों ने जी भर कर आनंद उठाया। पूरे सभागार ने हर गीत के पश्चात तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह-वर्द्धन भी किया।
डा शंकर ने अपनी प्रस्तुति का आरंभ बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा जितेंद्र सहाय के हिन्दी-गीत “जय हिन्दी, जय राष्ट्र भारती / जय भारत संस्कृति की” से किया, जिसे उन्होंने १९८८ में स्वर-वद्ध किया था। राग वागेश्वरी में आबद्ध इस गीत को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की रचना “मेरी भाषा में तोते भी राम-राम जब कहते हैं”, राग-भीमपलासी और अड़ाना में, कवि हिमकर श्याम की रचना “देश प्रेमियों ने लिखे थे विप्लव के गान” राग- तोड़ी, जोगिया और रामकली में, डा सुलभ के गीत “क्षण में किया पराया तुमने/ हृदय कितना दुखाया तुमने” राग-भैरवी, दरबारी और बिलावल ठाट में, नेपाली के गीत “तुम मिलोगे जीत या हार में” राग जौनपुरी और काफ़ी में, संजीव प्रभाकर के भजन “जहां में प्यार का हर लफ़्ज़ तेरा नाम है मधुसूदन” राग यमन में, अजमल सुल्तानपुरी की रचना “मुसलमां और हिंदू की जान / कहाँ है मेरा हिंदुस्तान” राग-भोपाली में तथा अज्ञात के गीत “ज़िंदगी एक किराए का घर है/ एक न एक दिन बदलना पड़ेगा” राग-दरबारी में आबद्ध किया गया था।प्रस्तुति के पश्चात डा शंकर प्रसाद तथा उनके गायन सहयोगियों गायिका मीना सिंह, रौशनी कुमारी, निशा पाराशर, गायक अनिल कुमार, राम कृष्ण सिंह, सुप्रसिद्ध तबला वादक शान्तनु राय, अशोक कुमार एवं हरिकृष्ण सिंह को, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ एवं समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री डा गोपाल प्रसाद ने ‘विशिष्ट कला-सम्मान’ से अलंकृत किया।प्रबुद्ध श्रोताओं में, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो अमर कुमार सिंह, डा मधु वर्मा, डा रमेश चंद्र पाण्डेय, कुमार अनुपम, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, जय प्रकाश पुजारी, कृष्णरंजन सिंह, शुभ चंद्र सिन्हा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, शमा कौसर ‘शमा’, परवेज़ आलम, डा शालिनी पाण्डेय, परवीर पंकज, वंदना, डा कुंदन कुमार, रजनीश गौरव, डा बी एन विश्वकर्मा, अशोक कुमार, डा रमा कुमारी, आदि सम्मिलित थे। अतिथियों का स्वागत सम्मेलन की साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी ने, धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंध मंत्री कृष्णरंजन सिंह ने तथा मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने किया।