कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / बीजेपी कोटा से उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद की बहु ‘घर नल का जल’ योजना में कटिहार बन गई ठेकेदार. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पूछा यह क्या है सुशासन बाबू, यही है सुशासन, त ठीक है. बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के परिवार को मिले 53 करोड़ रुपये का ठेका का मामला अब तूल पकड़ रहा है। उसके बाद प्रारंभिक छानबीन और साक्ष्यों में सारी बातों का खुलासा हो गया ।डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद एवं उसके परिवार ने भी इस भंडाफोड़ का खंडन नहीं किया है ।दूसरी ओर कांग्रेस राजद समेत समस्त विपक्षी दलों ने मामले की जांच की मांग कर दी है. ठेके पर बिहार के विधानसभा नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम के बहू और उसके संबंधियों को मिले इस ठके की पूरी लिस्ट हमार कटिहार के नेता के पास है.साथ ही उन्होंने कहा कि इस पूरी योजन में ही घोटाल हुआ है। तेजस्वी यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम किसी और के हाथ के कठपुतली हैं।उन्होंने सृजन घोटाला, बालिक गृह कांड सहित कई भ्रष्टाचार के मामले पर सरकार को घेरा। उन्होंने नीतीश सरकार के सात निश्चय योजना पर भी सवाल खड़े करते हुए भ्रष्टाचार की बात कही। सीएम नीतीश कुमार की फ्लैगशिप योजना ‘हर घर नल का जल’ में दिये गये ठेके को लेकरइस खबर में बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के संबंधियों सहित जदयू के कई नेता को भी ठेका मिला है. वैस सरकार का दावा है कि 95 फीसदी पंचायतों को कवर कर लिया गया है। पडताल के मुताबिक साल 2019-20 में बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने कटिहार जिले में नल-जल योजना के 36 प्रोजेक्ट को मौजूदा डिप्टी सीएमतारकिशोर प्रसाद के नाते-रिश्तेदारों को सौंप दिये.नल-जल योजना के तहत कटिहार में जिन ठेकेदारों को काम मिला उनमें तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी, तारकिशोर प्रसाद के साले प्रदीप कुमार भगत और डिप्टी सीएम के करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार शामिल हैं।बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने नल जल योजना के ठेके बांटने में दिलचस्प खेल खेला.कटिहार जिले में भवडा पंचायत है. इसमें 13 वार्ड हैं. सारे वार्ड का काम तारकिशोर प्रसाद के परिजनों को सौंप दिया गया. कुछ वार्डों का काम तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी को सौंपा गया तो बाकी का काम उनके साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी कंपनियों को.