डॉक्टर संजीव कुमार सिंह /स्वदेशी जागरण मंच की प्रेरणा से दिनांक 23 सितम्बर को आयोजित अर्थ चिंतन 2021 के पहले दिवस के कार्यक्रम में विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सहित अनेक विद्वानों नें भाग लिया ।कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हुए असोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटी की महामंत्री श्रीमति (प्रो.) पंकज मित्तल नें आने वाले समय में गाँवों से भारी मात्रा में शहरों की ओर पलायन से उत्पन्न होने वाली चुनौतीयों की तरफ़ ध्यान दिलाया ।स्वदेशी शोध संस्थान के प्रमुख एवं कार्यक्रम के मुख्य आयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा (कुलपति-गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी) नें भारत की कृषि, एम एस एम ई, प्राकृतिक संसाधन युवा शक्ति और उसकी उद्यमिता में अंतर्निहित सम्भावनाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि भारत में न केवल रोज़गार की भावी चुनौतियों से निपटने की क्षमता है बल्कि इनके बल पर भारत दुनिया में सिरमौर बन सकता है । यह उपलब्धि सबको रोज़गार देते हुए ग्रीन मेन्यूफेक्चरिंग के बल पर प्राप्त करी जा सकती है ।केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार व पर्यावरण मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव नें कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर पर्यावरण के पेरिस समझौते की प्रस्तावना में “माता पृथ्वी” शब्द डाला गया । आज लाइफ़ बनाम लाइफ़ स्टाईल के द्वन्द का विश्व सामना कर रहा है । छठी आइ.पी.सी.सी. की रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास का वर्तमान तरीका यदि जारी रहा तो पृथ्वी के समक्ष भारी संकट खड़ा हो जाएगा ।उन्होंने कहा कि पर्यावरण चुनौती से निपटने के लिए हमें ग्रीन एनेर्जी पर जाना होगा, भूमि के मरुस्थली करण को रोकना होगा तथा भूमि को वापिस उर्वर बनाना होगा । इस दिशा में सरकार तेज़ी से काम कर रही है । इसके अलावा सरकार घरेलू कामगारों सहित समस्त असंगठित क्षेत्र का डेटा संग्रह कर रही है । एक नई पहल करते हुए यह डेटा उद्योग संस्था आधारित व श्रम कौशल आधारित होगा जिससे कि उद्योगों में श्रम की माँग के अनुसार आपूर्ति करी जा सके । इसके लिए 400 ट्रेड को चिन्हित किया गया है । इसके अलावा प्लेटफ़ॉर्म आधारित क्षेत्र के श्रमिकों को भी इसमें सम्मिलित किया जाएगा, जैसे कि डिलीवरी ब्वाए या उबर के ड्राइवर । सरकार ईज़ आफ डूइंग बिज़नस से लेकर श्रमिक की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा तक के सभी विषयों पर काम कर रही है ।सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी ने कहा कि कृषि को बहुउपयोगी बनाना होगा । सीरीकल्चर से ओरगेनिक साड़ी, क़ालीन, ऑरगेनिक कॉटन, बांस से गृह निर्माण सामग्री खाद्य पदार्थ, गाय के गोबर से पेंट, गाय की देसी नस्लों की घर वापसी कर उनका दूध उत्पादन बढ़ाना, सामुद्रिक अर्थव्यवस्था, वन अर्थव्यवस्था, खाद्य तेल आयात बिल घटाने, गन्ने व चावल से ईथनोल बनाकर तेल आयात बिल घटाने की अनेक योजनाओं के बारे में बताया ।देश की 18 प्रतिशत तटीय जनसंख्या मछली पालन से 7 लाख करोड़ ₹ का लक्ष्य कैसे प्राप्त कर सकती है इसका विवरण देते हुए बताया कि मछुआरों की सोसाईटी बनाकर उनको मछली पकड़ने के बड़े ट्राले देने पर सरकार कार्य कर रही है ताकि वे समुद्र में छोटी नाव से 10 नोटिकल माईल की बजाए बड़े ट्रालों से 100 नोटिकल माईल तक भीतर जा सकें ।साथ ही बांस उत्पादन से प्रति एकड़ दो लाख ₹ की आमदनी देने वाली बांस अर्थव्यवस्था योजना की जानकारी दी ।नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार नें कहा कि पर्यावरण चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे पास केवल 15 वर्ष ही बचे हैं अतः तेज़ी से काम करना होगा । अन्यथा समुद्र तल इतना बढ़ जाएगा कि बंगलादेश जैसे देश तो डूब ही जाएँगे और देश की तटीय आबादी को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा । देश की 30 प्रतिशत सम्पदा मात्र 1 प्रतिशत लोगों के हाथ में चली गई है इस कारण आर्थिक विषमता बढ़ गई है अतः असमानता को दूर करना बड़ी चुनौती है । कृषि को रसायन मुक्त करके प्रदूषण को रोकना होगा, इसके लिए गाय आधारित प्रक्रतिक खेती ही एकमात्र उपाय है । देश में 30 लाख किसान ऐसी खेती कर रहे हैं । स्वदेशी को “भारत छोड़ो आंदोलन” की तरह एक जन अभियान बनाना होगा तभी यह सम्भव है ।अमूल के प्रबंध निदेशक श्री आर.एस.सोढ़ी नें पशुपालन के क्षेत्र में वर्ष के 365 दिन कम लागत में रोजगार की असीम सम्भावनाएँ बताई । उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र 1.20 लाख करोड़ के निवेश से गाँव से बिना पलायन करे 1.2 करोड़ रोज़गार उत्पन्न किए जा सकते हैं । देश में 8 लाख करोड़ ₹ के दूध बाज़ार का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि सरकार पुराने तरीक़े से ही कृषि में भारी निवेश कर रही है किंतु पशुपालन में बहुत कम निवेश करती है जबकि कृषि जी डी पी में पशुपालन का भारी योगदान है ।आइ.एस.आइ.डी. के निदेशक प्रो. नागेश कुमार नें भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे । देश विदेश में भारी मात्रा में बड़े स्क्रीन लगाकर स्वदेशी के कार्यकर्ताओं, प्रबुद्ध नागरिकों नें अर्थ चिंतन के इस कार्यक्रम को देखा व अपने सुझाव दिए व प्रश्न पूछे । कार्यक्रम का संचालन विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी के कुलपति श्री राज नेहरू एवं धन्यवाद ज्ञापन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री अजय पत्की नें किया ।