कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /G-23 ग्रुप राहुल गांधी के लिए खतरे की घंटी हैं, आने वाले समय में फिर राहुल गांधी के अध्यक्ष बनाने की तैयारी कांग्रेस की तरफ से की जा रही है. लेकिन जी 23 राहुल को लेकर लगातार विरोध कर रहा है.कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस वर्किंग कमेटी नई बैठक के लिए तैयार है. यह बैठक लंबे समय से कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लंबित मुद्दे को लेकर बुलाई गई है. हालांकि, इसे 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों और मौजूदा सियासी उथल-पुथल पर चर्चा के रूप में दिखाया जा रहा है.पार्टी के नए आक्रामक रूप और खासतौर से लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी की गतिविधियों को लेकर बैठक का यह समय तय किया गया है. पार्टी को उम्मीद है कि यह नई आक्रामकता उसे कई संकटों से बाहर निकलने में मदद करेगी. इन संकटों में सबसे खास कांग्रेस के मुखिया के पद को माना जा रहा है. इस परेशानी को जल्द सुलझाने की मांग भी जोर पकड़ रही है. हाल ही में जी-23 समूह के अहम सदस्य कपिल सिब्बल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था.उन्होंने कहा था, ‘हम जानते हैं कि सारे फैसले कौन ले रहा है, लेकिन हम फिर भी नहीं जानते हैं.’ साफ है कि उनका इशारा राहुल गांधी की तरफ था, जो पार्टी नेताओं से मिलकर आखिरी फैसले ले रहे हैं. इस प्रेस वार्ता के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेता काफी असमंजस में नजर आए कि आखिर परेशानी होने पर वे किसका रुख करें. इसने ताकत के तीन केंद्र भी तैयार कर दिए हैं, जिनके मुखिया गांधी ही हैं.कांग्रेस वर्किंग कमेटी के कुछ सदस्यों को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. सूत्र बताते हैं कि उम्मीद की जा रही है कि ये नेता एक और प्रस्ताव पारित कर सकते हैं, जिसके जरिए वे राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने की अपील करेंगे. लंबे समय से अटके अध्यक्ष पद के चुनान कोविड पाबंदियों के चलते दो बार टले, लेकिन अब CWC इसका समय तय कर सकती है.अब तक राहुल गांधी दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने से इनकार कर रहे हैं. इधर, सोनिया गांधी पर इस मुद्दे के जल्द निपटारे को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है. निजी तौर पर देखा जाए तो राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि वे इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक होते देखना चाहते हैं, जिसका मतलब है स्पष्ट चुनाव. अब यह बात उन संभावनाओं को दूर नहीं करती, जहां एक गैर-गांधी कांग्रेस का शीर्ष पद हासिल कर सकता है, लेकिन ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि ऐसे उम्मीदवार को शायद स्वीकार ही नहीं किया जाएगा. जी-23 के कुछ नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ उन्हें एक नॉमिनी खड़ा करना चाहिए, ताकि यह साफ हो सके कि प्रक्रिया लोकतांत्रिक है.