पटना, १७ अक्टूबर। समाज में स्खलन की बढ़ रही प्रवृत्ति को रोकने का कार्य प्रबुद्ध समाज का है। खेद जनक है कि प्रबुद्धजन अपने इस महत्त्वपूर्ण दायित्व से पलायन कर रहे हैं। अधिकांश लोग कुंठा-ग्रस्त और हताश-निराश बैठे हैं, किसी मूक-दर्शक की भाँति। यह मौन टूटना चाहिए। हम नई पीढ़ी पर दोष मढ़ कर अपने कर्तव्यों से मूँह नहीं मोड़ सकते। हमें अगली पीढ़ियों को संस्कारित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त गुणात्मक परिवर्तन का और कोई दूसरा मार्ग नहीं है।यह बातें रविवार को, देव पब्लिक स्कूल, पटेल नगर में, प्रबुद्ध हिंदू समाज के ३०वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए, संस्था के मुख्य संरक्षक और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि काल की गति के अनुसार ही, समाज में भी निरंतर परिवर्तन होता रहता है। समाज के बौद्धिक अवस्था के अनुरूप या तो समाज गिरता होता है या उठता रहता है। या तो उन्नति या अवनति की दिशा में रहता है। वर्तमान समाज सामाजिक दृष्टि से तीव्रता से नीचे गिर रहा है। इसे रोकने के लिए एक पूरी पीढ़ी को बलिदान के लिए आगे आना होगा।संस्था के अध्यक्ष डा जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में, विशिष्ट अतिथि और अधिवक्ता अभयानंद केशरी, संस्था के महासचिव आचार्य पाँचू राम, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, अरुण कुमार राय, रंजन कुमार मिश्र, शम्भु कुमार सिंह, डा महेन्द्र प्रसाद , श्याम नारायण महाश्रेष्ठ, अजय कुमार सिंह, कर्णजीत सिंह, अभिनव प्रकाश, साकेत स्वरीत तथा सौरभ झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन विद्यालय के निदेशक प्रो दिनेश कुमार देव ने किया।इस अवसर पर डा सुलभ, अभयानंद केशरी, अरुण कुमार राय तथा रंजन कुमार मिश्र का अंग-वस्त्रम तथा पुष्पहार पहनाकर सम्मान किया गया।