कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / प्रधानमंत्री ने अपना संबोधन वेद के मंत्र के साथ शुरू किया. कहा देशवासियों, आज मैं सुबह की शुरुआत एक वेद मन्त्र के साथ करना चाहता हूं. हमारे देश ने बड़ी सफलता मिली है . कल 21अक्टूबर को भारत ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की. सफलता भारत की सफलता है. हर देश की सफलता है. सभी देशवासियों को हृदय से बधाई. 100 करोड़ वैक्सीन डोज केवल एक आंकड़ा नहीं है. देश के समर्थ का प्रतिबिंब है. देश के नए अध्याय की रचना है. नए भारत की तस्वीरें है. उसने भारत की तस्वीर है जो अपने सफलता की सिद्धि के लिए कड़ा परिश्रम करता है. भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना पूरे दुनिया में हो रही है. दुनिया के बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना,वैक्सीन को खोजना. भारत अभी तक इन्हीं देशों के वैक्सीनेशन पर निर्भर रहता था. 100 साल बाद सबसे बड़ी महामारी में भारत के वैज्ञानिकों ने दिखा दिया. हम किसी से कम नहीं हैं. भारत के इतने लोगों को टीका लगा पाएगा ऐसे सवाल पूरे दुनिया में गूंज रहे थे. दुनिया भारत को ज्यादा सुरक्षित मानेगी. भारत का वैक्सीनेशन अभियान सबका साथ सबका विकास के साथ किया गया. टीकाकरण हमारे देश का जीवंत उदाहरण है. देश ने वैक्सीन का मुफ्त अभियान शुरू किया. देश के वैक्सीनेशन मिशन अभियान पर कोई भी वीआईपी कल्चर प्रभावी ना हो. किसी भी अभियान में जब सबका प्रयास जुड़ जाता है – वही सफलता का नीव पड़ जाती हैं. हमारे देश ने 1 दिन में एक करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार किया. ताली -थाली से देश में एकजुटता दिखी. बड़ी आबादी टीकाकरण के लिए चुनौती थी. हंसते-हंसते हमने कम समय में पूरा किया. हमें लापरवाह नहीं होना है. मास्क नहीं छोड़ना होगा. देश की ताकत को पूरा विश्व महसूस कर रहा है.