सौरभ निगम की रिपोर्ट -लखनऊ : एएमए हर्बल की ओर से एमिटी यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के लिए पांच दिवसीय नेचुरल डाइंग सर्टिफिकेट प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें फैशन व टैक्सटाइल डिजाइनिंग के स्टूडेंट्स ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्टूडेंट्स को नेचुरल डाई से कपड़ों को रंगने को लेकर जानकारी दी गई। कार्यक्रम में एएमए हर्बल के सस्टेनेबल बिजनेस अपॉर्चुनिटीज के वीपी श्री हमजा जैदी ने कहा कि कपड़ों को रंगने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे केमिकल डाई पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहे हैं। कपड़े उद्योग से निकलने वाले प्रदूषक भूमि, जल और वायु को अत्यधिक प्रदूषित कर रहे हैं। साथ ही कपड़ों में इस्तेमाल हो रहे केमिकल डाई स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। डाई में इस्तेमाल किए जा केमिकल से स्किन एलर्जी यहां तक की त्वचा कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का भी खतरा रहता है।एएमए हर्बल एमिटी विश्वविद्यालय के साथ एक नेचुरल डाइंग सर्टिफिकेट कार्यक्रम शुरू किया। यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जहां उद्योग और विश्वविद्यालय छात्रों को पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक रंगों से कपडों को रंगने के बारे में सिखाया गया। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राकृतिक रंगों के संक्षिप्त इतिहास, इसके विभिन्न स्रोतों और प्राकृतिक रंगों से रंगाई की विभिन्न तकनीकों का संक्षिप्त विवरण दिया गया। कार्यक्रम में सैंकड़ों स्टूडेंट्स को सार्टिफिकेट दिया गया। एएमए हर्बल ग्रुप ऑफ कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ श्री यावर अली शाह ने कहा कि चमकीले रंगों, कम लागत वाली रंगाई, उत्पादन में तेजी लाने की तलाश में कपड़े उद्योग की दुनिया रासायनिक रंगों की ओर स्थानांतरित हो गई है। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। जिसकी वजह से कपड़ा उद्योग दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषक बना गया है।हालांकि कपड़ा उद्योग को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के कई प्रयास चल रहे हैं, लेकिन प्राकृतिक डाई की ओर इसे शिफ्ट करने को लेकर उतना केंद्रित नहीं है। हालांकि प्राकृतिक रंगों में टेक्सटाइल को टिकाऊ बनाने की क्षमता होती है और यह वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में व्याख्यान देने वाले विशेषज्ञों में तकनीकी निदेशक डॉ. एम.रज़ा, श्री सादत खान, श्री प्रभात सिंह, श्री राहुल रंजन और मोहम्मद जाकिर शामिल थे।