प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /ठंड के समय घने कोहरे के चलते दृष्यता कम हो जाने पर हर साल प्रतिदिन रनवे दिखाई न देने और रूट क्लीयर न होने की स्थिति में वाराणसी एयरपोर्ट पर उतरने वाले कई विमान कोलकाता या किसी अन्य हवाईअड्डे के लिये डायवर्ट कर दिये जाते हैं। ऐसे में विमानों का ईंधन अधिक खर्च होता है, जिससे एयरलाइंस कम्पनियों को तो घाटा लगता ही है वहीं यात्रियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आने वाले समय में इस समस्या से कुछ हद तक निजात मिल जायेगी और आपातकालीन स्थिति में नोयडा के जेवर में बनने जा रहा एयरपोर्ट मददगार साबित होगा। क्योंकि जेवर एयरपोर्ट पर कैट थी प्रणाली का आईएलएल (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) लगाया जाएगा। जिससे देश विदेश से वाराणसी के बाबतपुर हवाईअड्डे पर आने वाले विमान को कम दृष्यता होने पर या किसी भी अपातकालीन स्थिति में जेवर एयरपोर्ट पर डायवर्ट किया जा सकेगा। हालांकि, अधिकारियों की मानें तो रूट नया होगा साथ ही एयरलाइंस द्वारा भी यह निर्धारित किया जायेगा कि विमान को किस हवाईअड्डे पर डायवर्ट किया जाये। अभी तक कोहरे के दिनों में कम दृश्यता होने पर वाराणसी एयरपोर्ट से अधिकतर विमानों को कोलकाता एयरपोर्ट के लिए डायवर्ट किया जाता है। जेवर एयरपोर्ट बन जाने से जहां दिल्ली एयरपोर्ट का लोड कम होगा वहीं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के तहत उत्तर प्रदेश में बन रहे हवाईअड्डों से नए विमानों को जेवर एयरपोर्ट से संचालित किया जाएगा। एविएशन से जुड़े जानकार लोगों का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट का निर्माण हो जाने के बाद वाराणसी ही नहीं आजमगढ़ के मंदुरी और सोनभद्र के म्योरपुर में बन रहे एयरपोर्ट से जेवर एयरपोर्ट के लिए विमान संचालित किए जा सकते हैं। ऐसे में जेवर से अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी होने के चलते पूर्वांचल के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। वाराणसी एयरपोर्ट से अभी शारजाह के लिए केवल एक विमान संचालित हो रहा है। ऐसे में खाड़ी देशों के एयरपोर्ट जेद्दा, दम्माम, दुबई सहित अन्य देशों में जाने वाले लोगों को वाराणसी से दिल्ली और मुंबई जाने के बाद ही विमान मिल पाते हैं। जेवर एयरपोर्ट बन जाने के बाद लोगों को जेवर से ही अंतरराष्ट्रीय रुट पर जाने के लिए विमान मिल जाएंगे।