पटना, २७ नवम्बर। अपने समय की महान विदुषी और गोवा की पूर्व राज्यपाल डा मृदुला सिन्हा का साहित्यिक व्यक्तित्व भी उनके सामाजिक राजनैतिक व्यक्तित्व की भाँति विराट था। वो एक ऐसी साहित्यिक विभूति थीं, जिन्हें मनुष्यता से मरुथल हो रहे संसार में, ‘प्रेम-सुधा की अविरल धारा’ कहा जा सकता है। करुणा, ममता, प्रज्ञा और संवेदना उनके ऐसे गुण थे, जो उन्हें सरस्वती की साक्षात प्रतिमा बनाते थे। भारतीय संस्कृति का जितना व्यापक ज्ञान था उन्हें, उतनी ही दृढ़ पकड़ लोक-जीवन पर भी थी उनकी। सृजन उनके लिए स्वांतः सुखाय नही, अपितु बहुजन हिताए, बहुजन-सुखाए, लोकानुकंपाए था। हिन्दी साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में अत्यंत मूल्यवान अवदान देने के अतिरिक्त शिक्षा, समाजसेवा, राजनीति और प्रशासन में भी महनीय योगदान के लिए उन्हें सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। यह बातें, शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह में, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि मृदुला जी का बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से बहुत ही गहरा लगाव रहा। सम्मेलन के उन्नयन और इसकी व्यापक प्रतिष्ठा-वृद्धि में उनका अवदान अतुल्य है। अपने समय में युवाओं के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि और मधुशाला’ के रचनाकार डा हरिवंश राय बच्चन को भी उनकी जयंती पर श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया। उन्हें तर्पण देते हुए, डा सुलभ ने कहा कि बच्चन जी का बिहार और साहित्य सम्मेलन से गहरा संबंध था। अनेक अवसरों पर उनका सम्मेलन आना हुआ। राष्ट्रीय काव्य-मंचों की शोभा थे वे।डा सुलभ ने युवा कवि डा कुंदन लोहानी के काव्य-संग्रह ‘काव्यचंचला’ का लोकार्पण भी किया। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा शंकर प्रसाद, अंबरीषकांत, आनंद किशोर मिश्र तथा डा बी एन विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पांडेय ‘प्रकाश’, कुमार अनुपम, शमा कौसर ‘शमा’, डा सागरिका राय, डा दिनेश दिवाकर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, जय प्रकाश पुजारी, सुनील कुमार, डा शालिनी पाण्डेय, रेखा भारती, डा आर प्रवेश, चितरंजन भारती, डा ब्रह्मानन्द पांडेय, प्रीति सुमन, राज किशोर झा, प्रतिभा कुमारी, अर्जुन प्रसाद सिंह, पंकज प्रियम, पूजा ऋतुराज, आदि कवियों ने दोनों साहित्यिक विभूतियों को काव्यांजलि प्रदान की। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा नागेश्वर प्रसाद यादव ने किया।समारोह में, डा पंकज कुमार सिंह, सचिन मिश्र, अमीर नाथ शर्मा, अश्विनी कुमार कविराज, चंद्रशेखर आज़ाद, राम किशोर सिंह बिरागी, अमित कुमार सिंह, श्री बाबू आदि सुधीजन उपस्थित थे।