दिल्ली :सोमा राजहंस की रिपोर्ट /। बीते साल भर से किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत धरना स्थल पर हुई। इस बात को लेकर किसान संगठनों के नेता लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं और उन्हें शहीद बता रहे हैं। लेकिन, संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन को बताया कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। न ही कोई रिकॉर्ड है। इसके बाद किसान नेता और कांग्रेस की ओर से इसकी आलोचना की जा रही है।सदन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मंत्रालय के पास किसान आंदोलन की वजह से हुई किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है।लोकसभा में लिखित सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन के बाद किसी भी किसान की मौत नहीं हुई है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास किसी भी किसान की मौत का रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में मरने वाले किसानों के परिवार को मुआवजे देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बॉर्डर पर किसानों की मृत्यु हुई क्या इसकी जानकारी सरकार को नहीं है ? 700 लोगों का अगर सरकार के पास आंकड़ा नहीं है तो सरकार ने कोरोना से मृत लोगों का आंकड़ा कहां से लिया। सरकार जनगणना के आधार पर गिनती करे और मृत किसानों को मुआवज़ा दें।वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 50-55 हजार मुकदमें जो आंदोलन के दौरान दर्ज हुए हैं, वे वापस लिए जाएं, MSP गारंटी कानून बनें, जिन किसानों ने जान गंवाई है उन्हें मुआवजा मिले, जो ट्रैक्टर बंद हैं उन्हें ट्रैक्टर दिए जाएं। अब ये हमारे मुख्य मुद्दे हैं। सरकार को बातचीत करनी चाहिए।किसान संगठनों ने बताया कि नवंबर 2020 से दिल्ली की सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों का विरोध करते हुए 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। वहीं इन मौतें का मुख्य कारण खराब मौसम, अस्वस्थ परिस्थितियों और आत्महत्या बताई जा रही है।