पटना, २ दिसम्बर । बिहार में विकालांग जनों को वैज्ञानिक ढंग से चिन्हित करने का कार्य नहीं हो रहा है। उनकी पहचान और पुनर्वास के कार्य सम्यक् रूप से तबतक नहीं होंग़े, जबतक कि भारत सरकार की भाँति बिहार में भी अलग से इसका विभाग सृजित नहीं किया जाता। राज्य में एक विकलांग पुनर्वास विभाग के साथ विकलांग आयोग का गठन भी शीघ्र किया जाना चाहिए। विकलांगों को मिलने वाले पेंशन की राशि भी बढ़ाकर कमसेकम तीन हज़ार किया जाना चाहिए।यह बातें गुरुवार को, विश्व विकालांग दिवस की पूर्व संध्या पर, बिहार विकलांग अधिकार मंच और बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च के सांयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित ‘विकलांग जागरूकता रैली’ के समापन के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख और वरिष्ठ साहित्यकार डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि विकलांगों के पुनर्वास और विशेष बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण के कार्य में अपेक्षित गतिशीलता नहीं है। प्रदेश में विशेष विद्यालयों की संख्या नगण्य है। पुनर्वास की अनेक चुनौतियाँ सामने है। इसके लिए दृढ़ संकल्प अपेक्षित है।यह रैली पटना जंक्शन स्थित बुद्ध स्मृति पार्क से आरंभ होकर कारगिल चौक गांधी मैदान के निकट एक सभा में परिवर्तित हुई। रैली को हरी झंडी दिखाकर, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने विदा किया। न्यायमूर्ति ने स्वयं रैली में विकलांग जनों के साथ पदयात्रा की तथा सभा को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि तन की विकलांगता से अधिक ख़तरनाक मन की विकलांगता है,जिसे बौद्धिक-विकलांगता कहना चाहिए। आज इसका दुष्प्रभाव सड़क से सदन तक देखने को मिल रहा है। विकलांग जनों ने इस रैली में यह कहा भी है और सिद्ध भी किया है कि ‘अंग नहीं तो क्या ग़म है! हम किसी से क्या कम हैं?/ तन से विकलांग ज़रूर हैं हम/ मन से विकलांग कोई और है।”सभा को विकलांग जन अधिकार मंच के महासचिव राकेश कुमार, बिहार नेत्रहीन परिषद के संस्थापक महासचिव डा नवल किशोर शर्मा,सिस्टर वीणा, डा बी एन विश्वकर्मा, राणा रणवीर सिंह, भरत कौशिक, योगेन्द्र गुप्ता, नेत्रहीन दिव्यांग अलका और कुमारी वंदना ने भी संबोधित किया।रैली में बिहार बधिर संघ के सह-सचिव प्रवीण प्रसून, इंद्रदेव, शिवनारायण साह, प्रो कपिलमुनि दूबे, सूबेदार उपेन्द्र सिंह, सूबेदार संजय सिंह, डा अजय कुमार मिश्र, डा संजीता रंजना, डा संजीत कुमार, डा स्निग्धा वर्मा, सुप्रभात शांडिल्य, मधुमाला कुमारी, चंद्र आभा, रजनीकांत, करुणानिधि, रवींद्र प्रजापति समेत बड़ी संख्या में तिपाहिया साइकिल पर सवार दिव्यांगजन, मूक-बधिर एवं दृष्टि-विकलागों और संस्थान के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों ने भाग लिया।