पटना, १० दिसम्बर । सुप्रसिद्ध सामाजिक चिंतक और मनीषी साहित्यसेवी विपिन विप्लवी की रचनाओं में समाज की स्पष्ट चिंता और परिवर्तन की अकुंठ आकांक्षा दिखाई देती है। लेखक समाज में हो रहे निरंतर नैतिक-ह्रास को रेखांकित करते हुए, उस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। उनके मन में परिवर्तन की एक अदम्य व्याकुलता दिखाई देती है। ह्रास के त्रास पर विजय के लिए वे पटेल और गांधी जैसे महापुरुषों को स्मरण करते हैं।यह बातें शुक्रवार को भारतीय भाषा साहित्य समागम के तत्त्वावधान में, कवि लेखक विपिन विप्लवी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘लेखकीय यात्रा के पड़ाव’ पर, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि गद्य और पद्य के दो खंडों में प्रकाशित यह पुस्तक विप्लवी जी की समस्त चेतना की सम्यक् अभिव्यक्त है। सरल-तरल भाषा किंतु काव्य-कल्पनाओं की विशिष्टता से युक्त इनकी रचनाएँ पाठकों पर गहरा प्रभाव डालती है। डा सुलभ ने श्री विप्लवी को अंग-वस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्य वक़्ता के रूप में अपना विचार व्यक्त करते हुए हिन्दी और अंग्रेज़ी के विशिष्ट विद्वान प्रो भगवान सिंह ने कहा कि विप्लवी जी के व्यक्तित्व के अनेक आयाम हैं। ये राज्य सरकार में उपनिर्वाचन अधिकारी भी रहे, पत्र-पत्रिकाओं में आलेख लिखते रहे। ये स्वतंत्र रूप से अपने मन की बातें गद्य में भी और पद्य में भी करते रहे हैं। इनके काव्य में छंद-शास्त्र तो नहीं दिखता, किंतु तुक-बंधन की आकर्षक चेष्टा अवश्य दिखाई देती है।कहना चाहिए कि विप्लवी जी की ये पुस्तकें अत्यंत प्रेरणादायक हैं। सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, कुमार अनुपम, कृष्ण रंजन सिंह, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा बी एन विश्वकर्मा, जय प्रकाश पुजारी, ब्रह्मानंद पाण्डेय, अर्जुन सिंह, विजय विहारी सिन्हा, वैद्यनाथ शर्मा रामेश्वर चौधरी तथा बाँके बिहारी साव ने भी पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए तथा लेखक को शुभकामनाएँ दी। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मृत्युंजय कुमार सिंह ने किया।इस अवसर पर राम प्रसाद ठाकुर, अमन वर्मा, विशांत विप्लवी, दिनेश प्रसाद सिंह, रवींद्र कुमार रतन, रवि कुमार विश्वकर्मा, अशोक कुमार, राजेश कुमार, अमित कुमार सिंह, सुरेंद्र पासवान आदि प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे।