प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट / देश के नामी विद्वान और बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, डॉ अनिल सुलभ ने उत्तरप्रदेश, मगहर में, सद्गुरु कबीर समाधी दर्शन किया. दर्शन कर डॉ सुलभ ने कहा जीवन धन्य हुआ.सम्बत १४५६ में जेष्ठी पूनम चंद्र सुवारा. श्री कबीर साहिब का जनहित कशी में अवतार,सम्बत १५७५ मगहर ज्ञान निधाना.माघ सुदी एकादसी तिथि को जगसे अंतरध्याना.प्रबुद्ध गुरु कबीर ने जनवरी १५१८ में , हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत १५७५ में माघ शुक्ल एकादशी में अपने शरीर को छोड़ दिया। वह मुसलमानों और हिंदुओं द्वारा समान रूप से प्रिय थे, और उनकी मृत्यु पर दोनों मुसलमानों और हिंदुओं द्वारा क्रमशः एक मजार (समाधि) और समाधि निर्मित है एव उनके मजार और समाधि के पास एक तरफ खड़े होते हैं। मकर संक्रांति 14 जनवरी को यहां एक वार्षिक त्यौहार आयोजित किया जाता है। कबीर ने काशी के ऊपर मगहर को चुन लिया क्योंकि एक प्रबुद्ध आत्मा के रूप में वह इस मिथक को दूर करना चाहते थे कि कोई भी अपने जीवन के अंतिम समय मगहर मे होने से उसका जन्म उसके अगले जीवन में एक गधे के रुप मे होता है ।