पटना, १८ दिसम्बर। हिन्दी के महान सपूतों में से एक महाकवि रामचंद्र जायसवाल अनेकों माहाकाव्यों के मनीषी सर्जक ही नहीं, एक बलिदानी स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिधर्मी महाकवि भी थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य में प्रबंध-काव्य को नई ऊर्जा दी और ‘रामायण’ तथा ‘गीता’जैसे स्तुत्य ग्रंथों को आधुनिक हिन्दी के नवल स्वर से गुंजित किया। यह बातें शनिवार को,बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित कवि के जन्मशताब्दी समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि ‘राम’ शीर्षक से रचित उनका महाकाव्य आधुनिक हिन्दी का प्रथम रामायण माना जाता है। जायसवाल जी ने ‘नमः शिवाय’, ‘कृष्ण’, ‘महाभारत’ तथा ‘राष्ट्रपितायण’ नामक काव्य-ग्रंथों का भी सृजन किया। उनकी साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी थी। गीत, नाटक, पटकथा, संवाद-लेखन समेत उपन्यास और कहानियाँ भी लिखीं। गीता पर लिखी उनकी पुस्तक ‘गीतायन’ को भी पर्याप्त प्रसिद्धि मिली।समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि प्रज्ञावान मनीषी विद्वान और महापुरुष जन काल के ऊपर के लोग होते हैं। इसीलिए हम उन्हें सैकड़ों हज़ारों वर्षों तक स्मरण रखते हैं। ऐसे ही महापुरुषों में महाकवि जायसवाल थे, जिन्हें हम उनकी जयंती के १००वें वर्ष में श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें आज के समाज को बदलना है। इसके लिए आवश्यक है कि हम व्यक्ति को बदलें। हम स्वयं को बदलें। मंत्रिमण्डल सचिवालय विभाग के विशेष सचिव और कवि डा उपेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा कि महाकवि रामचंद्र जायसवाल के साहित्य के व्यापक प्रचार की आवश्यकता है। उनकी पुस्तकें अनुपलब्ध है। साहित्य सम्मेलन उनके साहित्य के प्रचार-प्रसार में अपना मूल्यवान योगदान देना चाहेगा।इस अवसर पर हिन्दी के वयोवृद्ध विद्वान डा रमण शांडिल्य को, महाकवि रामचंद्र जायसवाल जन्मशताब्दी स्मृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया। अस्वस्थता के कारण उपस्थित न हो सके डा रमण के पुत्र अरुण कुमार ने सम्मान-पत्र, अंग-वस्त्रम और पाँच हज़ार एक सौ रूपए की सम्मान राशि ग्रहण की। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, बच्चा ठाकुर, रमेश कँवल, कुमार अनुपम, डा ओमकार निराला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ कवि जय प्रकाश पुजारी ने किया। वरिष्ठ कविडा प्रणव पराग, ब्रह्मानंद पाण्डेय, शुभचंद्र सिन्हा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, मसलेह उद्दीन काजिम, मोईन गिरीडीहवी, लता प्रासर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रभात धवन, सूर्यदेव सिंह,अर्जुन प्रसाद सिंह, राज किशोर झा ‘वत्स’, शिवानंद गिरि, विनोद सिंह आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया।इस अवसर पर , बाँके बिहारी साव, अमन वर्मा, चंद्रशेखर आज़ाद, प्रो सुखित वर्मा, श्रीबाबू, अमित कुमार सिंह, उदय शंकर साह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।