पटना, २० दिसम्बर । अंगिका भाषा और साहित्य के उद्धारकों में महाकवि परमानंद पाण्डेय का स्थान श्रेष्ठतम है। पाण्डेय जी ने इसे संजीवनी दी और उत्कर्ष तक पहुँचाया। इन्हें अंगिका का दधीचि साहित्यकार माना जाता है। उन्होंने अपने विपुल साहित्य-सृजन से, अंग प्रदेश में बोली जाने वाली एक ‘बोली’ को, ‘भाषा’ के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। यह बातें सोमवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह तथा कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि पाण्डेय जी ने अंगिका का व्याकरण लिखा। ‘अंगिका का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन’, सात सौ पृष्ठों में लिखा गया उनका महान ग्रंथ है। वे संस्कृत और हिन्दी के मनीषी विद्वान थे। अंगिका तो उनकी मातृ-भाषा हीं थी। खड़ी बोली हिन्दी की प्रतिष्ठा में जो भूमिका भारतेंदु हरिशचन्द्र की थी, वही भूमिका अंगिका के लिए परमानंद पाण्डेय जी की थी। वे अंगिका-साहित्य के जनक हीं माने जाते हैं। समारोह का उद्घाटन करते हुए पटना उच्च न्यायालय के पुर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्यकार सृजनकरता होते हैं। विसर्जन का कार्य असाहित्यिकों का है। साहित्य ही समाज को सभी प्रकार से रक्षण करने में सक्षम है। इसीलिए साहित्यकारों का स्थान श्रेष्ठतम है।इस अवसर पर कवि अरुण कुमार श्रीवास्तव के काव्य-संग्रह ‘एक मुट्ठी सृजन’ का लोकार्पण प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डा गोपाल प्रसाद ने किया। अपने उद्गार में डा प्रसाद ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक के कवि अत्यंत संवेदनशील और प्रेमानुरागी हैं। इनकी रचनाओं में प्रकृति और प्रेम अपने शाश्वत रूप में लक्षित हुआ है। कवि ने अपनी सृजनशीलता के साथ काव्य-धर्म का भी निर्वहन किया है। छंद से दूर हो रही आज की कविता को कवि ने छंद देने की चेष्टा की है।समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमरेश कुमार लाल,एमिटी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा विवेकानंद पाण्डेय, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, कुमार अनुपम, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अंग-कोकिल के पुत्र और ओजस्वी कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ ने ‘मैगपाई एक्सट्रिम, दिल्ली’ की ओर से, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ, डा शंकर प्रसाद तथा सुनील कुमार दूबे को ‘डा परमानंद पाण्डेय शिखर सम्मान’ से अलंकृत किया।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ कवयित्री चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा ब्रह्मानंद पाण्डेय, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्रणव पराग, डा आर प्रवेश, जय प्रकाश पुजारी, चितरंजन भारती, आकांक्षा अनुभूति, राज किशोर झा ‘वत्स’, आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा नागेश्वर यादव ने किया।इस अवसर पर, डा बी एन विश्वकर्मा, डा नागेश्वर यादव, बाँके बिहारी साव, शैलेंद्र श्रीवास्तव, राकेश रंजन, अशोक कुमार दत्त, अजीत कुमार मिश्र, अमन वर्मा, समीर सिन्हा, राजेश राज, चंद्रशेखर आज़ाद, अनुपमा सिन्हा, दुःखदमन सिंह, मालती राज आनंद, पूजा सिन्हा, आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।