पटना, २७ दिसम्बर। अपने मुक्त ठहाके के लिए चर्चित रहे अद्भुत प्रतिभा के मंच संचालक और स्तुत्य साहित्यकार डा शंकर दयाल सिंह राजनीति की तपती धूप में साहित्य की घनी छांव की तरह थे । भारत की ५वीं लोक-सभा के वे सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक थे। अपने पहले हीं चुनाव में उन्होंने बड़ी राजनैतिक सफलता अर्जित की। तब उनकी उम्र मात्र ३३ वर्ष की थी। उन्होंने अपनी ५८ वर्ष की कुल आयु में ३० से अधिक ग्रंथ लिख डाले। दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का संपादन किया। वे एक ज़िंदादिल इंसान, हरदिल अज़ीज़ साहित्यकार और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अर्थमंत्री भी थे। उनका विनोदी स्वभाव और ठहाका खाशा मशहूर था।
यह बातें सोमवार को डा शंकर दयाल सिंह की ८५वीं जयंती पर, साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, इस देश को स्वतंत्रता, साहित्य-धर्मी राजनेताओं के आह्वान और बलिदान से प्राप्त हुई और देश का पुनर्निर्माण भी उन्हीं नेताओं के सदप्रयास से हुआ, जिनके भीतर साहित्य का दीप प्रज्ज्वलित था। जबतक भारत की राजनीति में साहित्य और बौद्धिकता का प्रभाव रहा, सब कुछ ठीक चला और जैसे-जैसे इसमें कमी आई, राजनीति की दशा-दिशा सब कुछ बदलती चली गई है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य, डा मधु वर्मा, प्रो बासुकीनाथ झा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा मोहम्मद असलम तथा कृष्णरंजन सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन का आरंभ डा सुलक्ष्मी कुमारी ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवयित्री आराधना प्रसाद ने मुहब्बत के सिलसिले में यह कहा कि “सब्र का जाम भर न जाए कहीं/ कोई हद से गुजर न जाए कहीं”। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने इन पंक्तियों में नसीहत दी कि “याद तो अशकों का कमरा है जनाब/ आप इसको रोज़ मत खोला करें/ काल बड़े होकर सहारा देंगे ये/ दर्द को बच्चों की तरह पाला करें।”गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय के इस गीत पर सभी श्रोता झूमते नज़र आए कि “कोई गीत नया तुम गाओ/ कोई साथ चलेना फ़िकर नहीं/ अपने को मीत बनाओ”। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, कुमार अनुपम, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा शालिनी पाण्डेय, सागरिका राय, कौसर कोल्हुआ कमालपुरी, चितरंजन भारती, पंकज वसंत, कमल किशोर ‘कमल’ , जयप्रकाश पुजारी तथा डा वीरेंद्र कुमार दत्ता ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा नागेश्वर प्रसाद यादव ने किया। समारोह में डा प्रेम प्रकाश, जगदीश्वर प्रसाद सिंह, बाँके बिहारी साव, रामाशीष ठाकुर, रंजन कुमार अमृतनिधि, डा अंशु पाठक, दुखदमन सिंह,अतिकान्त आर्य, सूरज कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।