पटना, २४ जनवरी। मनीषी विद्वान पं राम नारायण शास्त्री एक महान हिन्दी सेवी ही नहीं, प्राच्य साहित्य के महान अन्वेषक भी थे। वे साहित्य समाज और राजनीति में भी समान हस्तक्षेप रखते थे। उनकी सरलता और विनम्रता अनुकरणीय थी। उनके बहुमुखी अवदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता।यह बातें सोमवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में पं राम नारायण शास्त्री स्मारक न्यास के तत्त्वावधान में आयोजित स्मृति-सह-सम्मान समारोह का उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कही। इस अवसर पर श्री चौबे ने बिहार गीत के रचनाकार कवि सत्य नारायण तथा समाजसेवी सिद्धनाथ सिंह को ‘अक्षर-पूरुष पं राम नारायण शास्त्री स्मृति सम्मान प्रदान किया। श्री चौबे ने सिमुलतला आवासीय विद्यालय की छात्रा को, वर्ष २०२१ की बोर्ड परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त कारने पर ‘ईश्वरी देवी सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ छात्रा पुरस्कार से पुरस्कृत किया।समारोह के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध चिंतक दत्तात्रेय होसबाले ने पं शास्त्री को नमन करते हुए कहा कि समाज में अच्छे कार्यों की स्वीकृति और अच्छे कार्य करने वालों का सम्मान करना प्रत्येक व्यक्ति का सामाजिक दायित्व है। जीवन के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक है। लाभ की अपेक्षा से अच्छे कार्य नहीं होते। अच्छे कार्य स्वतः मूल्य देते हैं और जीवन को मूल्यवान बनाते हैं। शास्त्री जी ऐसी ही एक विभूति थे, जो सामाजिक मूल्यों को समझते थे और उसे अपने आचरण में भी उतारते थे।सभा की अध्यता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि पं शास्त्री जो सम्मेलन के प्रधानमंत्री भी रह चुके थे, एक प्रणम्य साहित्यिक साधु-पुरुष थे। जिस प्रकार उन्होंने प्राच्य-साहित्य की दुर्लभ पोथियों और पांडुलिपियों का अन्वेषण, अनुशीलन और सूचीकरण किया वह अप्रतिम है।पं शास्त्री के पुत्र और न्यास के प्रमुख न्यासी अभिजीत कश्यप ने न्यास की गतिविधियों के संबंध में अपना प्रतिवेदन पढ़ा तथा सबके प्रति कृतज्ञाता ज्ञापित की। अतिथियों का स्वागत न्यास के अध्यक्ष डा रमेश चंद्र सिन्हा ने तथा धनयवाद ज्ञापन शोभित रंजन ने किया। मंच का संचालन पत्रकार कृष्णकांत ओझा ने एवं गौरव सुंदरम ने किया।इस अवसर पर सुप्रसिद्ध स्त्री-रोग विशेषज्ञा पद्मश्री डा शांति राय, पद्मश्री विमल जैन, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मेहता नगेंद्र सिंह, कृष्ण रंजन सिंह, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल, अजय यादव समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।