पटना, २ फरवरी। उपचार की सभी पद्धतियों से निराश हो चुके सभी रोगियों को अब भारत की प्राचीन योग-पद्धति से बड़ी राहत मिलने वाली है। अब योग द्वारा असाध्य रोगों का उपचार किया जाएगा। आगामी ५ फरवरी (वसंत पंचमी) से बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में रोगोपचार योग केंद्र की स्थापना की जा रही है। प्रत्येक दिन प्रातः साढ़े ९ बजे से अपराह्न ३ बजे तक परामर्श और प्रशिक्षण की सेवा विशेषज्ञ योगाचार्यों के द्वारा उपलब्ध होगी।सम्मेलन भवन में बुधवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया कि, बिहार में योग के विश्व गुरुओं की महान और गौरवशाली परंपरा रही है। बिहार से ही याज्ञवल्क्य का ज्ञान योग, कासांख्ययोग,विश्वामित्र का क्रियायोग, पतंजलि का अष्टांग-योग-दर्शन, भगवान बुद्ध का षडग योग विश्व समुदाय को प्राप्त हुआ। इन योग पद्धतियों में मनुष्य के संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ और मानसिक आध्यात्मिक उन्नयन का सार निहित है। इसके माध्यम से रोग-रहित, तनाव-रहित और कलुष रहित जीवन-शैली का वैज्ञानिक मार्ग मिलता है।डा सुलभ ने कहा कि योगाचार्य हृदय नारायण झा, योग शिक्षिका ज्योति किरण समेत अन्य गुणी आचार्यों द्वारा रोगियों को परामर्श और प्रशिक्षण प्राप्त होंगे। इस केंद्र को, सुप्रसिद्ध नयूरो फिजिसियन डा गोपाल प्रसाद सहित एलोपैथी के भी अनेक सुख्यात चिकित्सकों का सहयोग प्राप्त हो रहा है, जो अपने रोगियों को इस केंद्र की चिकित्सा प्राप्त करने हेतु प्रेरित करेंगे। इस केंद्र में, शारीरिक, मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक बाधाओं सहित दाम्पत्य संबंधी समस्याओं का भी निदान प्राप्त होगा।केंद्र के योग-विशेषज्ञ हृदय नारायण झा ने कहा कि यह बिहार का पहला केंद्र होगा, जहाँ योग की मौलिक परंपरा पर आधारित अभ्यास एवं परामर्श द्वारा क़ब्ज़, गैस्टिक, गठिया, दमा, स्पौंडलाइसिस, पीठ दर्द, कमर दर्द, उच्च रक्तचाप और मधुमेह आदि रोगों की चिकित्सा उपलब्ध होगी। प्रेसवार्ता में योग-प्रशिक्षिका ज्योति किरण , सम्मेलन के प्रबंध मंत्री कृष्णरंजन सिंह, संगठन मंत्री डा शालिनी पाण्डेय तथा अर्थमंत्री सुनील कुमार दुबे उपस्थित थे।