प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट /राजधानी दिल्ली में 14 फरवरी सोमवार यानि आज से नर्सरी से 8वीं कक्षा तक के लिए स्कूल फिर से खुलने जा रहे हैं, हालांकि कुछ अभिभावक चिंतित हैं. वहीं कुछ अन्य परिवहन सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि कोविड-19 के मद्देनजर लंबे समय तक बंद रहने के बाद फरवरी को कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए स्कूल फिर से खुल गए.दिल्ली एसोसिएशन’ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम, कई अभिभावक अपने जूनियर क्लास के बच्चों को स्कूलों में भेजने को लेकर आशंकित हैं क्योंकि अभी तक उनका टीकाकरण नहीं हुआ है. गौतम ने कहा, “इसलिए वे प्रतीक्षा करने और स्थिति पर गौर करने का विकल्प चुनेंगे.दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि स्कूल खुलने पर शिक्षकों को बच्चों व उनके साथ पहुंचे अभिभावकों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करना होगा.कक्षा में पहुंचने पर शिक्षक बच्चों से उनके लॉकडाउन के समय का अनुभव साझा करने के लिए कहेंगे.यदि कोई बच्चा अपना अनुभव साझा करने में असहज महसूस करेगा तो शिक्षक उस पर दबाव नहीं बनाएंगे.बच्चों के जोड़े के साथ समूह का गठन किया जाएगा, जिससे बच्चे खुलकर अपनी बात रख सकें.केंद्र ने अपने दिशानिर्देशों से छात्रों को प्रत्यक्ष कक्षाओं में भाग लेने के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य करने वाले खंड को हटा दिया है. वहीं, दिल्ली सरकार ने इस खंड को जारी रखने का निर्णय लिया है. पिछले साल 28 दिसंबर को ओमिक्रॉन स्वरूप से संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए शहर के स्कूलों को फिर से बंद करने से पहले कुछ समय के लिए फिर से खोल दिया गया था.7 वर्षीय एक बच्चे के पिता अनिल भाटी ने कहा, ‘‘मैं अपने बच्चे को भेजना चाहता हूं, लेकिन स्कूलों ने अभी तक परिवहन सुविधा की शुरुआत नहीं की है और मैं अन्य माध्यम से व्यवस्था के लिए संघर्ष कर रहा हूं. जब स्कूल फिर से खोले जा रहे हैं तो सरकार को परिवहन सेवाओं को फिर से शुरू करने का आदेश देना चाहिए.निजी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा, ‘‘माता-पिता, विशेष रूप से जिनके बच्चे जूनियर कक्षाओं में हैं, अभी भी आशंकित हैं. हमने सहमति पत्र भेजे, लेकिन प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं है. अब हम माता-पिता के लिए परामर्श सत्र आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.श्री राम वंडर इयर्स स्कूल की प्रमुख शुभी सोनी ने कहा, ‘‘हम चरणबद्ध तरीके से फिर से खोल रहे हैं. मैसेज और ई-मेल के माध्यम से अभिभावकों को सूचित किया गया है। हम मौसम को ध्यान में रखते हुए कक्षाओं के बाहर हवादार क्षेत्रों में पठन-पाठन की योजना बना रहे हैं.