कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी NDA में अनकंफर्टेबल हो गए हैं।उत्तर प्रदेश विधान चुनाव में बीजेपी से कोई तरजीह नहीं मिली, फिर विधान परिषद चुनाव को लेकर विकासशील इंसान पार्टी को NDA ने दरकिनार कर दिया। इसी बीच बोचहां के विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो गया। अब इस सीट को पाने को लेकर भी मुकेश सहनी को अपने गठबंधन में मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे में मुकेश सहनी बिहार NDA में कमजोर होते जा रहे है। मुकेश सहनी हर मौके पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं। इसी बीच NDA की बैठक में उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी है।MLC के तौर पर मुकेश सहनी का टर्म 18 महीने था जो इस साल के जुलाई में खत्म हो रहा है। अब मुकेश सहनी ने यूपी विधानसभा चुनाव से लेकर बिहार में बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जानकार बताते है कि ये इसलिए बौखलाए हुए है कि उनका टर्म खत्म हो रहा है। BJP ने यूपी में घास नहीं डाला, बिहार में भी लोकल बॉडी के चुनाव में कोई सीट नहीं दी। बोचहां भी उनके खाते में नहीं जा रहा है। वहीं, जिस वायदे के साथ वो सरकार में आए है वो मल्लाह आरक्षण भी अभी तक मिला नहीं है। इस लिए वो बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी शिर्ष नेतृत्व नाराज है। विकासशील इंसान पार्टी के विधायक को मंत्री बनाने की चर्चासूत्र बताते है कि अब विकासशील इंसान पार्टी की ही विधायक स्वर्णा सिंह या मिश्री लाल को मंत्री बनाये जाने की तैयारी चल रही है। वजह ये है कि मुकेश सहनी लगातार बीजेपी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में बीजेपी एक अलग रणनीति पर काम कर रही है। इसमें गौराबौराम से विकासशील इंसान पार्टी की विधायक स्वर्णा सिंह की बात करें तो स्वर्णा सिंह बीजेपी के पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह की बहू है। कोरोना काल में सुनील कुमार सिंह की मृत्यु हो गई थी। बीजेपी ने विकासशील इंसान पार्टी पार्टी से उनकी बहू स्वर्णा सिंह को सेट कर दिया। वो विधायक बन गई।दूसरे तरफ दरभंगा के अलीनगर से ने मीश्री लाल यादव को विकासशील इंसान पार्टी से टिकट दिलवा कर विधायक बना दिया। मिश्री लाल यादव ने बीजेपी के टिकट से 2015 में भी अलीनगर से चुनाव लड़े थे। लेकिन वहां के आरजेडी के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्धकी ने उनको चुनाव में हरा दिया था। लेकिन इस बार वो सफल रहे। अगर बात करें VIP के विधायक राजू कुमार सिंह की तो साहिबगंज से पिछली बार 2015 में राजू कुमार सिंह को बीजेपी ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़वाया था। अब ये तीनों विधायक बीजेपी के पूर्व नेता रहे हैं और जैसे ही मौका मिला ये पलटी मार देंगे। जिसमें चर्चा है कि स्वर्णा सिंह या मिश्री लाल यादव को मंत्री बनाया जा सकता है।दोबारा मंत्री बनने के लिए कर रहे प्रेसर पॉलिटिक्स। उनके पास में तुरुप का पत्ता है। वह इसको अब राजनीतिक रूप से मुद्दा बनाना चाहते हैं। इसी प्रयास में वह उत्तर प्रदेश गए लेकिन, उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी ने उनको घास नहीं डाला। बिहार में भी मुकेश सहनी अपनेआप को अभी तक कहीं स्टैब्लिश नहीं कर पाए है। इसी बात को लेकर वह बौखलाहट में है। उनकी पार्टी की ओर से अभी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। वह लगातार प्रेसर पॉलिटिक्स कर रहे हैं।मुकेश सहनी नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं।बीजेपी के खिलाफ यह बोल रहे हैं और बीजेपी भी इन पर अब अटैक करना शुरू कर दी है। हालांकि मुकेश सहनी यह समझ रहे हैं कि उनका विधानपरिषद की सदस्यता इस साल के जुलाई में खत्म होने वाला है। शायद इसलिए वह इस तरह बौखलाहट में है कि वह इतना बयानबाजी कर दें कि बीजेपी मजबूर होकर उनको दोबारा विधान परिषद का सदस्य बना दे। लेकिन लगातार विपक्ष की तरफ से इनको कहा जा रहा है कि रिचार्ज कूपन नहीं होने वाला है और इस पर सवालिया निशान है।दो नाव की सवारी कर रहें मुकेश सहनी मंत्री.इसी को लेकर यह लगातार बयानबाजी करते रह रहे हैं जो कि भाजपा के नेताओं को रास नहीं आ रहा है। हालांकि मुकेश सहनी सॉफ्ट कॉर्नर RJD के तरफ भी है। वह दोनों नाव पर पैर रखकर चल रहे हैं। कभी-कभी आरजेडी तेजस्वी यादव को छोटा भाई भी बताते रहते हैं। हालांकि मुकेश सहनी के बचे तीन विधायक बीजेपी के नेता रहे है, मुकेश सहनी को इसका भी डर रहता है। लेकिन, यूपी बीजेपी चुनाव को लेकर अभी कुछ बोल नहीं रही।