पटना, २६ मार्च। “मैं नीर भरी दुःख की बदली” की अमर कवयित्री और हिन्दी के छायावाद-काल की प्रमुख स्तम्भ महीयसी महादेवी वर्मा ने हिन्दी के विशाल काव्य-सागर में गीतों की अनेक निर्झरनियाँ गिराईं, जिनका उद्गम उनका करुणा से भरा विशाल हृदय हीं था। महादेवी के गीतों ने हज़ारों-लाखों आँखों के आँसू पोछे हैं। उनके गीतों ने समाज के जीवन में राग उत्पन्न कर, उल्लास और उत्साह के नए रंग और रस प्रदान क़िए हैं। महादेवी की रचनाओं की वही ध्वनि बिहार की चर्चित कवयित्री किरण सिंह और ऋता शेखर ‘मधु’ की काव्य-रचनाओं में भी सुनाई देती है।
यह बातें शनिवार को, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में महादेवी जयंती पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।
समारोह का उद्घाटन करती हुईं, बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि छायावाद-काल की प्रमुख कवयित्री महादेवी वर्मा, जिन्हें’आधुनिक मीरा’ भी कहा जाता है। करुणा और स्त्री-चेतना की महनीया कवयित्री हैं। आज उनकी जयंती के अवसर पर बिहार की दो चर्चित कवयित्रियों के पुस्तकों का लोकार्पण हुआ है, यह नारी-सशक्ति करण की दिशा में हमारे बढ़ते कदम का सुंदर उदाहरण है।
इसके पूर्व हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष और बिहार गीत के यशस्वी कवि सत्यनारायण ने ऋता शुक्ल ‘मधु’ के तीन काव्य-संग्रहों; ‘वर्ण सितारें’, ‘धूप के गुलमोहर’ और ‘एक मुट्ठी धूप’ तथा किरण सिंह, श्रीमती मधु तथा कुमार गौरव अजीतेंदु के साझा संकलन ‘बिहार छंद-काव्य रागिनी’ का लोकार्पण किया। अपने उद्गार में श्री सत्यनारायण ने कहा कि बिहार किसी भी क्षेत्र में बौना नही है। इसकी महान सांस्कृतिक विरासत है, जिस पर हमें गौरव है। बिहार की इसी सांस्कृतिक गौरव को कवयित्री किरण सिंह, मधु जी और अजीतेंदु जी ने छंद-बद्ध किया है। किरण जी एक समर्पित कवयित्री हैं।
विद्वान साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि कवयित्री किरण सिंह, ऋता शेखर ‘मधु’ तथा ऊवा कवि अजीतेंदु ने बिहार की सांस्कृतिक विरासत और उसकी छांदस काव्य की रागिनियों को मधुर स्वर दिया है, जिनमे प्रकृति के अनूठे चित्र भी मिलते हैं। ऋता शेखर शुक्ल ने मन को छूने वाली लघुकथाएँ भी लिखी हैं।
पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार डा रवींद्र किशोर सिन्हा, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, सुप्रसिद्ध लेखक जियालाल आर्य, मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, दूरदर्शन, बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार ‘नाहर’ ने भी अपने विचार व्यक्त क़िए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ वरिष्ठ कवयित्री डा आराधना प्रसाद ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा ब्रह्मानन्द पाण्डेय, डा मेहता नगेंद्र सिंह, आरपी घायल, मधुरेश शरण, शुभचंद्र सिन्हा, डा अर्चना त्रिपाठी, मधुरानी लाल, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा सुषमा कुमारी, डा सीमा यादव, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, पूनम सिन्हा श्रेयसी, जय प्रकाश पुजारी, डा सुधा सिन्हा, डा शालिनी पांडेय, मोईन गिरिडिहवी, शुभ चंद्र सिन्हा, माधुरी भट्ट, डा रेखा भारती, लता प्रासर, सिद्धेश्वर प्रसाद, नूतन सिन्हा, अश्मजा प्रियदर्शिनी, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, प्रेमलता सिंह, श्वेता मिनी, प्रभात धवन, चंदा मिश्र, अर्जुन प्रसाद सिंह, पंकज प्रियम, डा कुंदन लोहानी, अर्चना भारती, बाँके बिहारी साव ने भी अपनी रचनाओं से कवि-सम्मेलन को अंत तक जीवंत और रोचक बनाए रखा।
अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने, धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने तथा मंच संचालन सुनील कुमार दूबे ने किया।
इस अवसर पर, प्रो सुशील कुमार झा, अंबरीष कांत, डा मुकेश कुमार ओझा, प्रो सुखित वर्मा, कमल नयन श्रीवास्तव आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।