श्री सियाराम मिश्रा, वरीय संपादक – “कंट्री इनसाइड न्यूज़ “वाराणसी कार्यालय से मऊ/ माफिया मुख्तार अंसारी को श्याम संजीवनी अस्पताल का दस्तावेज देना डा. अलका राय व निदेशक शेषनाथ राय के गले की फांस बन गया और उन्हें जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया। यही नहीं आठ माह की जेल की हवा खाने के बाद दोनाें बाहर आए। अभी ढाई माह ही बीता था कि फिर बाराबंकी पुलिस ने उनके ऊपर गैंगेस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कर उठा ले गई। ताबड़तोड़ बाराबंकी पुलिस की कार्रवाई से श्याम संजीवनी हास्पिटल की दुर्गति तो हुई ही साथ ही साथ डा. अलका राय के लिए जीवन का इतिहास बन गया। मुख्तार अंसारी को जिस बुलेट प्रुफ एंबुलेंस से मोहाली कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया था, उसका रजिस्ट्रेशन श्याम संजीवनी अस्पताल बाराबंकी के नाम से फर्जी रूप से दर्ज था। जांच पड़ताल में श्याम संजीवनी हास्पिटल की संचालिका डा. अलका राय का नाम प्रकाश में आने पर बाराबंकी में 01 अप्रैल 2021 को ही एआरटीओ द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर डा. अलका राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद बाराबंकी की छह सदस्यीय टीम उनके श्याम संजीवनी अस्पताल पर पहुंची थी। इस दौरान उनका आवास पुलिस छावनी में तब्दील रहा था।पुलिस टीम ने सारी एंबुलेंस प्रकरण में सारी बातों को डायरी में नोट किया था। करीब साढ़े तीन घंटें तक गहन पूछताछ के बाद डेढ़ बजे पुलिस टीम वहां से रवाना हुई थी। इस दौरान डा. अलका राय ने रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए दस्तावेजों का और बाराबंकी में लगाए गए रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज वेरीफिकेशन किया था, जो सही पाया गया था। हालांकि इस दौरान डा. अलका राय यह सफाई देती रहीं कि जबरन उनके गुर्गे दस्तावेज ले गए थे। इसके कुछ ही दिन बाद बाराबंकी पुलिस डा. अलका राय व शेषनाथ राय को गिरफ्तार कर बाराबंकी जेल में डाल दिया था। तबसे वह जेल में थी और जमानत पर छूट कर आईं थी। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बाराबंकी की यूपी41 नंबर की एंबुलेंस चलती हैं।2013 में अंसारी के प्रतिनिधि मुजाहिद ने विधायक निधि से अस्पताल को एंबुलेंस देने के लिए कुछ कागजों पर श्याम संजीवनी अस्पताल के निदेशक शेषनाथ राय व डा. अलका राय से दस्तखत कराए थे और मात्र एक चेक पंद्रह या बीस हजार का लिया था। बाराबंकी से पंजीयन संख्या यूपी-41 एटी-7171 से यह एंबुलेंस निकाल ली गई थी। इसके बाद मुख्तार अंसारी इस पर सवार होकर पुलिस व प्रशासन को चकमा देते हुए दुरुपयोग करता रहा। यही नहीं वर्ष 2015 में एंबुलेंस को हस्तांतरण करने के लिए भी हस्ताक्षर करवा लिया था। इसके बाद एंबुलेंस का दुरुपयोग करता रहा। यही नहीं इसे बुलेटप्रुफ भी बनवा लिया था।1 अप्रैल को माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब के मोहाली कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने के लिए यही एंबुलेंस वहां गई थी और पकड़ी गई थी। इसका नंबर सरकारी नंबर की एंबुलेंस से मेल खाता था। इसकी वजह से इस पर कोई शक नहीं कर पा रहा था। यही वजह रही कि मुख्तार पुलिस प्रशासन को चकमा देकर इसकी सवारी भरता रहा।