पटना,११ अप्रैल। विदुषी साहित्यकार गिरिजा वर्णवाल एक अत्यंत प्रतिभाशाली कवयित्री और निबंधकार थीं। उनकी रचनाओं में उनकी प्रतिभा और विद्वता की स्पष्ट झलक मिलती है। उनकी विनम्रता और उनका आंतरिक सौंदर्य, उनके विचारों, व्यवहार और रचनाओं में अभिव्यक्त हुआ है। उनके व्याख्यान भी अत्यंत प्रभावकारी होते थे। उनके चेहरे पर सदा एक स्निग्ध मुस्कान खिली रहती थी, जो उन्हें विशिष्ट बनाती थी।यह बातें सोमवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि गिरिजा जी की शिक्षा-दीक्षा बनारस विश्वविद्यालय से हुई और उन्हें डा नामवर सिंह जैसे विद्वान आचार्यों से शिक्षा और साहित्य का ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला।समारोह का उद्घाटन करती हुईं विदुषी लेखिका डा गीता शॉ पुष्प ने कहा कि गिरिजा जी एक ऐसी विदुषी साहित्यकार थीं, जिन्होंने अपने घर और साहित्य-सृजन के बीच संतुलन बनाने का एक सुंदर आदर्श उपस्थित किया।वो सृजनधर्मिता और एक कुशल गृहिणी का दिव्य उदाहरण थीं।गिरिजा जी के पति और सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त ने उन्हें एक पूर्ण समर्पित अर्द्धांगिणी के रूप में स्मरण किया, जो उन्हें मातृवत दिव्य छाया प्रदान करती रहीं और सृजन की प्रेरणा बनी रहीं। वैदुष्य और साहित्यिक प्रतिभा में वो मुझसे भी श्रेष्ठ थीं। मैं गौरव से कहता रहा हूँ कि मुझे उनका पति होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा ध्रुव कुमार, प्रो सुखित वर्मा, बाँके बिहारी साव आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। डा शंकर प्रसाद ने अपनी ग़ज़ल को मधुर स्वर से पढ़ते हुए कहा कि “फिर बंधेंगे आशिक़ों के सिर पे साफे-सूर्खगूँ/ इश्क़ में फिर जां लुटाने के दिन आ गए”। गीत के चर्चित कवि डा ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने अपने गीत “चाँद गगन से तुमको ज़मीं पर देख बहुत शरमाया/ सोंच रहा अब मन में दूजा चाँद कहाँ से आया” का सस्वर पाठ किया तो सभाकक्ष ने तालियों से उनका ज़ोरदार अभिनंदन किया।शायर रमेश कँवल का कहना था कि ” दिल का मकान ग़म ने किराए पे ले लिया/ख़ुशियाँ जो मुस्तकिल थीं उन्हें बेदख़ल किया”।वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा अर्चना त्रिपाठी, डा दिनेश दिवाकर, कुमार अनुपम, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, पूनम आनंद, डा सुलक्ष्मी कुमारी,डा सुधा सिन्हा, डा आर प्रवेश, सुधा पाण्डेय, प्रेमलता सिंह ‘राजपुत’, अर्जुन प्रसाद सिंह, डा मीना कुमारी परिहार, डा शालिनी पाण्डेय, श्याम बिहारी प्रभाकर, नूतन सिन्हा, नरेंद्र कुमार, पं गणेश झा आदि कवियों और कवयित्रियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।समारोह में डा एच पी सिंह, आनंद मोहन झा, चंद्रशेखर आज़ाद, मुकेश कुमार, रीना कुमारी, गोपाल मेहता, दुःख दमन सिंह, अश्विनी कुमार,नवल किशोर सिंह आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।