जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 14 अप्रैल ::मध्य विद्यालय सिपारा में संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अम्बेडकर और भगवान महावीर की जयंती मनाया गया। उक्त अवसर पर डॉ. अम्बेडकर और भगवान महाबीर के चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया और उनके आदर्शों को अपनाने की अपील की गयी।राजकीय-राष्ट्रीय सम्मान से अंलकृत शिक्षिका डा. नम्रता आनंद ने बताया कि बाबा साहब ने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआ छूत,जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया था। बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। पूरे विश्व में उनके मानवाधिकार आंदोलनों, उनकी विद्वता जानी जाती है। उनका मानना था कि सभी जाति के लोगों को एक जैसा अधिकार मिलना चाहिए ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो।उन्होंने लोगों को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुये कहा कि सत्य, अहिंसा और त्याग पर आधारित भगवान महावीर का तपस्वी जीवन व उनकी शिक्षाएं हमें धर्म के मार्ग पर चलकर मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देती है। जैन धर्म को मानने वाले आज के दिन को बहुत हर्षोल्लास से मनाते हैं। भगवान महावीर स्वयं की इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर बने थे। उन्होंने दुनिया को पंचशील सिद्धांत भी दिया है।उक्त अवसर पर स्कूल के प्रधानाध्यापक कृष्णनंदन प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब को सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए संविधान निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हर साल उनकी जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है।उन्होंने देश से जाति प्रथा और समाज में छुआ छूत की कुव्यवस्था को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी।उन्होंने कहा कि शांति और प्रसन्नता पाने के लिए भगवान महावीर की शिक्षा हमेशा प्रासंगिक है।उक्त अवसर पर मंजू कुमारी, नीलम शर्मा, पद्मावती कुमारी, उर्मिला सिन्हा, विद्या कुमारी, आभा कुमारी शर्मा सहित कई शिक्षक और शिक्षिकायें उपस्थित थी।